महिलाओं की लाइफ में नियमित पीरियड्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महिलाओं को करीब 12 साल की उम्र के बाद से पीरियड्स आने शुरू हो जाते हैं और लगभग 40 से 45 की साल की उम्र तक यह सिलसिला जारी रहता है। पीरियड्स अपने आप में कोई समस्या नहीं होते हैं, लेकिन इनकी वजह से आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर पीरियड्स 4 से 7 दिन तक चल सकते हैं। इस दौरान महिलाओं को अपने खानपान से लेकर लाइफस्टाइल में बदलाव का सामना भी करना पड़ता है।

दरअसल, पीरियड्स के दौरान जो भी खानपान या एक्टिविटी होती है उसका सीधा असर सेहत पर पड़ता है। ऐसे में पीरियड्स के दौरान दिन की शुरुआत से चाय के साथ करनी चाहिए या नहीं, यह काफी हद तक आपके शरीर की प्रतिक्रिया और चाय के प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ महिलाओं को चाय से राहत मिल सकती है, जबकि कुछ को यह नुकसान पहुंचा सकती है। आइए एक्सपर्ट की राय से समझते हैं कि पीरियड्स में चाय पीना सेहत पर क्या असर डाल सकता है। द डाइट एक्सपर्ट्स की सीईओ और हेड डायटीशियन सिमरत कथूरिया ने बताया कि क्या पीरियड्स के दौरान चाय का सेवन करना सही रहता है या नहीं?

पीरियड्स में चाय पीने के फायदे

पीरियड्स के दौरान कुछ तरह की चाय पीने से दर्द और ऐंठन में आराम मिल सकता है। चाय में मौजूद कैफीन एनर्जी बूस्ट करता है, जिससे सुस्ती और थकान कम होती है। इसके साथ ही चाय ब्लोटिंग यानी पेट फूला हुआ महसूस होना कम करती है। हर्बल चाय, जैसे कैमोमाइल या अदरक वाली चाय, सूजन और ब्लोटिंग को कम कर सकती है। ग्रीन टी और हर्बल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं, जो पीरियड्स पेन में आराम देती है। ऐसे ही अदरक, तुलसी या कैमोमाइल टी पीने से ऐंठन कम हो सकती है।

पीरियड्स में चाय पीने के नुकसान

पीरियड्स में के दौरान अधिक चाय का सेवन करना भी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि चाय में कैफीन होता है। ऐसे में ज्यादा कैफीन ऐंठन बढ़ा सकता है। ब्लैक टी या ज्यादा कैफीन वाली चाय पीने से यूटरस ज्यादा सिकुड़ सकता है, जिससे दर्द बढ़ सकता है। इससे डिहाइड्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है। कैफीन शरीर से पानी बाहर निकालता है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है और सिरदर्द बढ़ सकता है। इसके साथ ही हार्मोनल असंतुलन भी हो सकते हैं। ज्यादा कैफीन लेने से एस्ट्रोजन के लेवल पर असर पड़ सकता है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।

पीरियड्स लेट होने के कारण और बीमारियां

यू.एस. ऑफिस ऑन वीमेन हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीरियड्स समय पर ना आने से लिवर पर असर पड़ता है और लिवर से संबंधी समस्या हो सकती है। आमतौर पर किसी भी महिला का मेंस्ट्रुअल साइकिल 24 से 38 दिनों का होता है, लेकिन जिन महिलाओं का मेंस्ट्रुअल साइकिल बिगड़ जाता है तो नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। महिलाओं के शरीर में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का संतुलन जब बिगड़ता है तो लिवर पर नाकारात्मक प्रभाव पढ़ता है।

वहीं, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, किशमिश वाला दूध सेहत के लिए फायदेमंद होता है। यह एक प्राकृतिक टॉनिक की तरह काम करता है, जो पाचन को सुधारता है और शरीर को एनर्जी देता है, क्योंकि शमिश में एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में होते हैं, जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाते हैं।