आजकल खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी की कमी के चलते शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ना आम समस्या बन चुका है। दरअसल, शरीर में लगभग 30% प्यूरीन हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से मिलता है, लेकिन जब शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है तो ये क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमा होने लगता है। यह स्थिति गठिया (Gout) कहलाती है, जो खासकर उंगलियों, घुटनों, एड़ियों और पैरों के जोड़ों को प्रभावित करती है। एक बार शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाए तो बाहर निकालना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
एनसीबीआई की स्टडी के मुताबिक, जब यह एसिड शरीर में अधिक बनने लगता है और शरीर उसे बाहर नहीं निकाल पाता, तो यह जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमने लगता है। इससे सूजन, दर्द, अकड़न और चलने-फिरने में तकलीफ हो सकती है, जिसे गठिया (gout) भी कहा जाता है, लेकिन योग एक ऐसा प्राकृतिक तरीका है, जो यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में असरदार साबित हो सकता है। इन योगासन से लिवर, किडनी और मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट किया जा सकता है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन
इस आसन को करने से लिवर और किडनी की कार्यक्षमता बढ़ती है, जिससे शरीर से विषैले पदार्थ यानी टॉक्सिन्स जल्दी बाहर निकलते हैं। इससे पाचन क्रिया अच्छी होती है, जो यूरिक एसिड कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है।
कैसे करें अर्ध मत्स्येन्द्रासन
- बैठकर एक पैर मोड़ें
- दूसरा पैर उसके ऊपर से ले जाकर जमीन पर रखें
- फिर शरीर को उस ओर ट्विस्ट करें
पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन को नियमित करने से पेट और आंतों की हेल्थ अच्छी होती है, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। ये यूरिक एसिड के जमाव को रोकने में मदद करता है और शरीर को हल्का बनाता है।
पवनमुक्तासन कैसे करें
- पीठ के बल लेटें
- एक या दोनों घुटनों को छाती की ओर मोड़ें और हाथों से पकड़ें
- सिर घुटनों की ओर लाएं
भुजंगासन
इस आसन को करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और किडनी का कार्य सक्रिय होता है। इससे शरीर में सूजन और जकड़न कम होती है। नियमित रूप से इस आसन को करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
भुजंगासन कैसे करें
- पेट के बल लेटें
- हथेलियों को कंधों के पास रखें और सांस लेते हुए छाती को ऊपर उठाएं।
उत्तानपादासन
उत्तानपादासन यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करता है और पेट की चर्बी भी कम करता है। यह किडनी और यूरिनरी सिस्टम को एक्टिव करता है।
उत्तानपादासन कैसे करें
पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को एक साथ 30 से 45 डिग्री ऊपर उठाएं।
शलभासन
शलभासन करने से शरीर का निचले हिस्सा टोन होता है और लिवर को डिटॉक्स करता है। ये यूरिक एसिड के जमाव को रोकता है और जोड़ों को लचीलापन देता है।
- शलभासन कैसे करें
- पेट के बल लेटें
- दोनों पैरों को सांस रोकते हुए ऊपर उठाएं और कुछ सेकंड होल्ड करें
वहीं, NCBI में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, लिवर को हेल्दी रखने के लिए विटामिन ए और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा शरीर में जरूर होनी चाहिए।