अगर आपके पेशाब में बदलाव आ रहे हैं, तो यह डायबिटीज, किडनी प्रॉब्लम या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन जैसी बीमारियों का संकेत हो सकता है। पेशाब से जुड़ी कुछ समस्याएं शरीर में ब्लड शुगर के बढ़ने का संकेत देती हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। शुगर एक तेजी से बढ़ती गंभीर बीमारी है। यह बीमारी अग्न्याशय यानी पैंक्रियास को प्रभावित करती है, जिसके कारण यह इंसुलिन नामक हार्मोन का उत्पादन कम कर देता है या नहीं कर पाता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है। इस हार्मोन के काम कम करने पर शुगर लेवल बढ़ जाता है।
हालांकि, शुगर को कंट्रोल करने के लाइफस्टाइल और खानपान का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है। टाइप 2 मधुमेह को कुछ चीजों को ध्यान में रखकर कंट्रोल किया जा सकता है, जबकि टाइप 1 में शुगर को कंट्रोल करने के लिए लाइफटाइम इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।
मेयो क्लिनिक के अनुसार, डायबिटीज के कई लक्षण होते हैं, जिनमें थकान, धुंधला दिखाई देना, बिना वजह वजन कम होना, बहुत ज्यादा भूख लगना, घाव का जल्दी न भरना, जल्दी संक्रमण होना, मसूड़ों में सूजन और खून आना और आपके हाथ या पैर में झुनझुनी या सुन्नपन होना शामिल है। इन सबके अलावा पेशाब से जुड़े डायबिटीज के कई लक्षण हैं, जो आपको बता सकते हैं कि आप डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं पेशाब से जुड़े डायबिटीज के लक्षण क्या हैं।
ज्यादा प्यास और पेशाब
मेयो क्लिनिक के अनुसार, अत्यधिक प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना मधुमेह के सबसे आम लक्षण हैं। अगर आपको अचानक कुछ दिनों तक ऐसी समस्या होने लगे, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। जब किसी बच्चे को शुगर होता है, तो उसके खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। दरअसल, किडनी अतिरिक्त शुगर को छानने और अवशोषित करने के लिए ज्यादा मेहनत करती है और बार-बार पेशाब आने लगता है।
झागदार पेशाब
आपका पेशाब झागदार है और आप उसका रंग नहीं समझ पा रहे हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। जब आपको डायबिटीज होती है, तो पेशाब में शुगर की मात्रा ज्यादा हो सकती है। कई बार किडनी इसे फिल्टर नहीं कर पाती। यही वजह है कि पेशाब का रंग बदल जाता है और बादल जैसा हो जाता है।
किडनी की समस्याएं
डायबिटीज का सीधा असर किडनी पर पड़ता है। इससे किडनी से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। इसकी वजह से पेशाब में प्रोटीन जमा हो सकता है। पेशाब में प्रोटीन बढ़ने की वजह से पेशाब का रंग बादल जैसा हो सकता है। नेशनल किडनी फाउंडेशन के मुताबिक, टाइप 1 डायबिटीज वाले करीब 30 फीसदी और टाइप 2 डायबिटीज वाले 10 से 40 फीसदी लोगों में किडनी फेल होने के मामले सामने आ सकते हैं।
यूटीआई का खतरा
शुगर यूटीआई संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है, खासकर उन महिलाओं में जो अधिक जोखिम में हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हाई ग्लूकोज लेवल शरीर के लिए संक्रमण से लड़ना कठिन बना देता है। इससे दुर्गंधयुक्त मूत्र, जलन और बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
इसके अलावा योग गुरु और टीवी पर्सनालिटी डॉक्टर हंसा योगेंद्र ने बताया कि आंतों और पेट को हेल्दी रखने के लिए दही और छाछ, प्याज और लहसुन, साबुत अनाज और हरी सब्जियों का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है।