डायबिटिक मरीजों को अपने स्वास्थ्य का बहुत ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि जरा-सी लापरवाही उनके ब्लड शुगर में बढ़ोतरी कर सकती है और अचानक से बढ़ा हुआ शुगर का स्तर गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। हाई ब्लड शुगर अगर नियंत्रित रहता है तो शरीर ठीक प्रकार से कार्य करती है। लेकिन इसके अनियंत्रित होने के साथ ही शरीर में इंसुलिन का असर कम हो जाता है। यह स्थिति गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि किडनी की क्षति, आंखों की रोशनी जाने और कई अन्य तरह की समस्याओं का कारण बन सकती है।
ब्लड शुगर के बढे़ हुए स्तर को कभी भी हल्के में न लें, क्योंकि अगर इसका इलाज न किया जाए, तो भविष्य में और भी खतरनाक हो सकता है। हाई ब्लड शुगर के कारण हमारी नर्व्स, ब्लड वेसल्स और ऑर्गन्स डैमेज हो सकते हैं। अचानक ब्लड शुगर बढ़ने (High blood sugar) की स्थिति को हाइपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) कहा जाता है। आइए जानते हैं कि आपात स्थिति में ब्लड शुगर को तुरंत कैसे कम करें।
कंसल्टेंट फिजिशियन, एमडी मेडिसिन (गोल्ड मेडलिस्ट) डॉ. समीर अली सैयद ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि इन्सुलिन, एक ऐसा हार्मोन है, जो शुगर को ब्लड से सेल्स में पहुंचाता है। कभी- कभी शरीर में या तो बहुत ज़्यादा इन्सुलिन हो जाती है या फिर बिल्कुल कम। ऐसे में मधुमेह रोगियों को नियमित तौर पर अपने ब्लड शुगर की जांच करते रहना चाहिए। इसके बाद ही ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के तरीके आजमाए जा सकते हैं।
डॉक्टर अली ने बताया कि जब शुगर हाई होता है तो मरीज को मुख्यतः दो समस्याएं होती हैं। पहली हाइपरोस्मोलैरिटी (Hyperosmolarity) जिसमें खून काफी गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है। यह गाढ़ा खून हमारी छोटी ब्लड वेसल्स में नहीं जा पाता। जिससे आंख, कान, नर्व्स, किडनी आदि ब्लड सर्कुलेट न होने के चलते प्रभावित होती हैं। दूसरी स्थिति में किडनी से कीटोन्स पास होने लगते हैं और शरीर में कीटोन्स की मात्रा बढ़ जाती है। तो यह डायबिटीक कीटोएसिडोसिस (Diabetic Ketoacidosis) की स्थिति पैदा कर सकता है। इन दोनों कंडीशन में खून पतला करने का इंजेक्शन भी लगता है, क्योंकि इस स्थिति में थ्रॉम्बोसिस (Thrombosis) होने का रिस्क हाई हो जाता है।
रोजमर्रा के डायबिटिक मरीजों में सामान्यतः प्यास लगना, जी मिचलाना, सांस फूलना, मुंह सूखना, पेट में दर्द आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं। लेकिन हाइपरग्लाइसेमिया (अत्यधिक ब्लड शुगर बढ़ना) के मरीजों में शरीर ड्राई होने लगता है। इसके अलावा चक्कर आने के साथ पैरालिसिस के शुरूआती लक्षण भी देखते जाते हैं।
डॉक्टर अली के अनुसार ऐसी आपात स्थति में, अगर आप इंसुलिन इंजेक्शन इस्तेमाल करते हैं, तो सबसे पहले बिना देर किए इंसुलिन इंजेक्शन लेना चाहिए। इंसुलिन के साथ मरीज को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। जिससे शरीर में मौजूद अत्यधिक ग्लूकोज पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाएगा। अगर 15 से 30 मिनट इंतजार करने के बाद भी स्थति नियंत्रण में नहीं आ रही है, तो तुरंत डॉक्टर की मदद लें। हाइपरोस्मोलैरिटी (Hyperosmolarity) की स्थिति में सबसे पहले मरीज को एडमिट करना होता है, ताकि इंजेक्शन के माध्यम से खून को पतला किया जा सके।