आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते अधिकतर लोग सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे में ना चाहते हुए भी वे कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। डायबिटीज भी इन्हीं बीमारियों में से एक है। हेल्थ एक्सपर्ट्स, शारीरिक गतिविधि की कमी, खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खानपान, मोटापा आदि जैसे कुछ सामान्य कारकों को डायबिटीज की शुरुआत का कारण बताते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर आप रोज के किए जाने वाले आम कामों को करते हुए भी अधिक कमजोरी या चक्‍कर आना महसूस करते हैं, तो ये टाइप-2 डायबिटीज के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, कई बार नींद पूरी ना होने के चलते भी आप अधिक थकान महसूस करते हैं या मोटापा बढ़ने के भी कई ओर कारण हो सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि डायबिटीज की पहचान के लिए कौन-कौन से टेस्ट करवाए जाते हैं। इन टेस्ट की मदद से आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं और अगर है तो वो किस लेवल पर है।

एचबीए1सी टेस्ट (HbA1c Test):

डायबिटीज का पता लगाने के लिए अधिकतर लोग दो ही तरीकों को अपनाते हैं। पहला फिंगर टेस्ट और दूसरा यूरीन टेस्ट। ये टेस्ट हमें स्टीक जानकारी भी देते हैं, लेकिन सिर्फ उसी समय के लिए जिस दौरान हम ये टेस्ट कर रहे हैं। ऐसे में ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव की पूरी डिटेल जानने के लिए आप HbA1c टेस्ट करा सकते हैं। एचबीए1 टेस्ट के जरिए आप पिछले तीन महीनों के ब्लड शुगर लेवल की जानकारी हासिल कर सकते हैं।

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (Fasting Plasma Glucose Test):

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट खाली पेट किया जाता है। इसके लिए व्यक्ति को करीब 8 घंटे तक भूखे रहना जरूरी होता है। टेस्ट से पहले आप केवल पानी पी सकते हैं। अधिकतर लोग सुबह-सुबह फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट कराना बेहतर समझते हैं।

रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (Random Plasma Glucose Testing):

कई बार लोग अधिक समय तक भूखे नहीं रह पाते हैं और टेस्ट कराने से पहले ही खाना खा लेते हैं। ऐसी स्थिति में रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट का सहारा लिया जा सकता है। ये टेस्ट आप दिन में किसी भी समय करा सकते हैं। इसी कड़ी में इस टेस्ट को एमरजैंसी शुगर टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट हाइपरग्लाइसेमिया और लो शुगर के स्तर का पता लगता है। इस टेस्ट के जरिए शुगर के घटने और बढ़ने का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

पोस्टप्रैन्डियल ब्लड शुगर टेस्ट (Postprandial Blood Sugar Test):

पोस्टप्रैन्डियल ब्लड शुगर टेस्ट खाना खाने के दो घंटे बाद किया जाता है। इसके जरिए खाने के बाद ब्लड शुगर की मात्रा को मापा जाता है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट की एक निर्धारित मात्रा होती है। पोस्टप्रांडियल प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट से ये पता लगया जाता है कि ब्लड शुगर बॉडी में किस तरह से प्रतिक्रिया देता है।

ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test):

ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले व्यक्ति का ब्लड सैंपल लिया जाता है, इसके बाद उसे ग्लूकोज का पानी पिलाया जाता है। दो से ढाई घंटे बीत जाने के बाद एक बार फिर ब्लड सैंपल लेकर इसकी जांच की जाती है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।