Diabetes Problem: शरीर के प्रमुख अंगों में से एक है किडनी जो खून को फिल्टर कर उसमें मौजूद वेस्ट मैटीरियल्स को बाहर निकालता है। इसके अलावा, यूरिन बनाना, शरीर में एसिड का संतुलन बनाए रखना, हार्मोन्स का स्राव और मिनरल्स का अवशोषण जैसे कई काम किडनी ही करता है। ऐसे में ये कहना कतई गलत नहीं होगा कि शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए किडनी का सुचारू रूप से कार्य करना जरूरी है।
व्यस्कों की तुलना में बुजुर्गों को किडनी संबंधी रोगों का खतरा अधिक होता है। किडनी जब सक्रिय रूप से काम करना बंद कर देती है तो ऐसे में शरीर से टॉक्सिक पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते हैं जो कई बार मरीजों के लिए जानलेवा भी हो सकते हैं। मोटापा, गलत खानपान, धूम्रपान, शराब का सेवन और फिजिकल इनैक्टिविटी किडनी रोग के प्रमुख कारणों में से एक है।
वहीं, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जो लोग हाई बीपी या डायबिटीज के मरीज होते हैं, उनमें उम्र बढ़ने के साथ किडनी रोग होने की संभावना भी बढ़ती है। आइए जानते हैं कैसे ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर का अनियंत्रित स्तर रेनल डिजीज के खतरे को बढ़ाता है –
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मधुमेह रोगियों में यूरिन पास होने के मार्ग में एल्ब्यूमिन प्रोटीन का रिसाव होने लगता है। इस कारण किडनी ब्लड को ठीक तरीके से फिल्टर नहीं होने देता है। साथ ही, किडनी के ब्लड वेसल्स भी इससे प्रभावित होते हैं। टॉक्सिक पदार्थ की अधिकता के कारण शरीर में पानी व नमक का स्तर भी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, मरीजों के यूरिनरी ब्लैडर पर हर समय दबाव बना रहता है जो किडनी को कमजोर बनाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूरिन अगर अधिक समय तक ब्लैडर में रहे तो इससे किडनी में संक्रमण यानि कि इंफेक्शन का खतरा रहता है।
हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप के वैसे मरीज जो लंबे समय से इस परेशानी से ग्रस्त हैं उन्हें भी किडनी रोग का खतरा रहता है। इस स्थिति में ब्लड वेसल्स डैमेज होने लगते हैं जिससे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में दिक्कत होती है। इससे किडनी पर ज्यादा दबाव पड़ता है जो इस अंग को कमजोर करने का कार्य करती है। बीपी के मरीजों को पोटैसियम ज्यादा खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई बार ये पोटैशियम ही किडनी रोग का कारण बनता है।