ठंडे पैर रहना सामान्य है, खासकर सर्दियों के महीनों के दौरान। लेकिन हमेशा मौसम के कारण पैर ठंडे नहीं रहते हैं। इसके पीछे कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। तो अगर आपके पैर भी ठंडे रहते हैं तो इसे बिल्कुल नजरअंदाज ना करें। फोर्टिस लेफ्टिनेंट राजन ढल्ल अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. धनंजय गुप्ता, आर्थोपेडिक सर्जरी, वसंत कुंज ने बताया कि किन बीमारियों के कारण पैर ठंडे रहते हैं और इसका उपचार क्या है। डायबिटीज उन बीमारियों में से एक है। इसलिए हमेशा सतर्क रहें और चीजों को बिल्कुल नजरअंदाज ना करें।

डायबिटीज मेलिटस: कई बार ठंडे पैर रहने के पीछे डायबिटीज एक बहुत बड़ा कारण होता है। शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है तो हाथ पैर ठंडे रहने लगते हैं। ब्लड वेसेल्स पतले हो जाते हैं और नर्व भी डैमेज हो जाता है।

हाइपोथायरॉयडिज्म: थायरॉइड हार्मोन कंट्रोल सर्कुलेशन, दिल की धड़कन और शरीर के तापमान विनियमन के लिए जिम्मेदार होता है। थायरॉइड हार्मोन का स्तर कम होने से मेटाबॉलिक एक्टिविटी कम हो जाती है जिसके कारण हाथ और पैर ठंडे हो जाते हैं।

तंत्रिका संबंधी विकार(नर्व डिसऑर्डर): तंत्रिका क्षति के कारण या तो बाहरी (चोट, आघात, जलन, शीतदंश) या आंतरिक (यकृत या गुर्दे की बीमारियां, पोषक तत्व की कमी, संक्रमण) क्षति होती है। इन रोगियों में तंत्रिका क्षति के अतिरिक्त लक्षण भी होते हैं। यह भी एक कारण है कि आपके हाथ-पैर ठंडे रहते हैं।

अनीमिया: इससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप सेलुलर स्तर पर चयापचय गतिविधि कम हो जाती है और हाथ-पैर ठंडे रहने लगते हैं।

इससे बचने के लिए क्या करें:

– मोटे मोजे और चप्पल पहनें।
– पैरों को गर्म पानी में थोड़ी देर रखें।
– बैठते वक्त पैरों को क्रॉस कर के ना बैठें।
– नियमित रुप से एक्सरसाइज करें ताकि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर रहे।
– घरेलू उपचार जैसे हाथों और पैरों को प्याज से रब करें या आलू के पानी में नहाएं ताकि ब्लड सर्कुलेशन बेहतर रहे।
– चाय, कॉफी और अन्य कैफीन युक्त पेय का सेवन कम करें क्योंकि वे पेरिफेरियल सर्कुलेशन को कम करने के लिए जाने जाते हैं।

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