डायबिटीज, मौजूदा समय में पूरी दुनिया के लिए बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे ‘साइलेंट किलर’ डिजीज की लिस्ट में गिनते हैं, जिसका फिलहाल कोई इलाज भी नहीं है। ये बीमारी बेहद तेजी से बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है।

डायबिटीज की चपेट में आने पर पीड़ित लोगों को हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक से लेकर अंधेपन, किडनी फेलियर और पैरों के निष्क्रिय होने जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। हालांकि, राहत की बात यह है कि अच्छी जीवनशैली अपनाकर और डाइट में कुछ खास चीजों को शामिल कर आप मधुमेह पर काफी हद तक कंट्रोल पा सकते हैं। काला लहसुन का सेवन इन्हीं खास चीजों की लिस्ट में शामिल है। आइए जानते हैं किस तरह काला लहसुन मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है-

इससे पहले जान लेते हैं कि आखिर डायबिटीज है क्या-

दरअसल, हम जो भोजन करते हैं, उसे हमारा शरीर कार्बोहाइड्रेट तोड़कर ग्लूकोज में बदलता है। इसके बाद हमारे पैंक्रियाज से इंसुलिन हार्मोन निकलता है, जिसकी मदद से बॉडी की सेल्स शुगर को सोख कर एनर्जी बनाती हैं, लेकिन जब शरीर में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है या वह ठीक से काम नहीं करता है, तो सेल्स खून में मौजूद शुगर की मात्रा को सोखने में असमर्थ हो जाती हैं। इससे ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है। इसी स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है।

इस गंभीर बीमारी के दो टाइप है। टाइप 1 डायबिटीज अनुवांशिक होती है और टाइप 2 डायबिटीज के पीछे हेल्थ एक्सपर्ट्स खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान को अहम कारण बताते हैं। दोनों ही स्थिति में पीड़ित को अपने स्वास्थ का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है।

किस तरह फायदा पहुंचाता है काला लहसुन?

कई हेल्थ रिपोर्ट्स बताती हैं कि काले लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं, जो शुगर लेवल को अधिक बढ़ने नहीं देते हैं। ऐसे में ये मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

हेल्थलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, काला लहसुन मधुमेह रोगियों के लिए कितना असरदार है, इसे लेकर साल 2019 में एक शोध किया गया। इस दौरान कुछ चूहों को लगातार कुछ दिनों तक हाई शुगर और फैट से भरपूर भोजन दिया गया। इसके बाद चूहों को काले लहसुन का अर्क दिया गया। वहीं, शोध के नतीजों में देखा गया कि काले लहसुन के अर्क से न केवल चूहों के ब्लड शुगर लेवल में सुधार हुआ बल्कि इसके नियमित सेवन पर मेटाबॉलिज्म में भी तेजी देखी गई।

इसके अलावा मधुमेह से पीड़ित चूहों पर 2009 के एक पुराने अध्ययन में भी पाया गया है कि ताजे लहसुन की तुलना में काले लहसुन में उच्च स्तर की एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि होती है। ऐसे में काला लहसुन अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण मधुमेह की जटिलताओं को रोकने में ज्यादा मदद कर सकता है।

घर पर भी कर सकते हैं तैयार

बता दें कि आप बाजार से लाने की बजाय घर पर भी बेहद आसानी से काला लहसुन तैयार कर सकते हैं। ब्लैक गार्लिक नॉर्मल गार्लिक को फर्मेंट करके बनाया जाता है। फर्मेंटेशन के कारण इस लहसुन का स्वाद मीठा हो जाता है। इसके लिए आपको सफेद लहसुन को 60 डिग्री तापमान पर 2 से 3 हफ्तों तक रख देना है। इस तरह आपका काला लहसुन तैयार हो जाएगा।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।