Coronavirus Precaution: कोरोना वायरस का प्रकोप हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। भारत में  इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 70 हजार के करीब पहुंच चुकी है, जबकि मरने वालों का आंकड़ा 2 हजार से अधिक हो गया है। अमेरिका, इंग्लैंड, इटली समेत दुनिया के तमाम देश इस बीमारी का इलाज ढूंढ़ रहे हैं, लेकिन अब तक कोई भी पुख्ता इलाज सामने नहीं आ पाया है। इस बीच एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि जिन देशों में विटामिन डी की कमी थी, वहां कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की संख्या अधिक थी।

शोध में ये बात आई सामने: इस शोध के अनुसार इटली और स्पेन जैसे देशों में विटामिन डी का औसत स्तर यूरोप के अन्य उत्तरी देशों की तुलना में बहुत कम था। इन दोनों ही देशों में कोविड-19 से हुई मौतों का आंकड़ा काफी अधिक था। शोधकर्ताओं के अनुसार इन देशों में मृत्यु दर इतना अधिक इसलिए था क्योंकि दक्षिणी यूरोप में लोग, खासकर बुजुर्ग सूरज की रोशनी में नहीं बैठते हैं। वहीं, स्किन पिगमेंटेशन भी शरीर में प्राकृतिक रूप से विटामिन डी को बनने से रोकती है। ये शोध यूरोप के 20 देशों में कोरोना वायरस के मामले और मृत्यु दर पर किया गया था। यूनाइटेड किंगडम के एंजलिया रस्किन यूनिवर्सिटी और क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों द्वारा इस शोध का नेतृत्व किया गया था।

कितनी धूप जरूरी?: एम्स के आर्थोपेडिक्स विभाग के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. विवेक दीक्षित के मुताबिक लोगों के शरीर के लिए नियमित रूप से कम से कम 2 हजार IU विटामिन-डी जरूरी है। शरीर में इतनी मात्रा में विटामिन डी को पहुंचाने का सबसे बेहतर उपाय है धूप में बैठना। सूरज की रोशनी इस विटामिन का प्राकृतिक स्रोत है।

सुबह 8 से 10 बजे के बीच में 30-35 मिनट सूरज की रोशनी के सामने बैठकर धूप सेंकना चाहिए। वहीं, दोपहर में 11 से 1 बजे के बीच में भी आप 15 मिनट के लिए धूप सेंक सकते हैं। अपना चेहरा, हाथ, गर्दन और पीठ पर धूप लगाएं। अगर आपको धूप से एलर्जी हो तो लगातार बैठने की बजाय कुछ देर का ब्रेक लेकर बैठें।

ये हैं विटामिन डी के लाभ: SARS-CoV2 वायरस को प्रो-इंफ्लामेट्री साइटोकिन्स की अधिकता के कारण जाना जाता है यानि कि इस वायरस के वजह से शरीर में साइटोकिन्स अधिक बनने लगते हैं। ऐसे में मरीज के फेफड़ों में सूजन व म्यूकस बनने लगता है जिस वजह से सांस लेने में परेशानी होती है। स्थिति गंभीर होने पर मरीजों को बैक्टीरियल निमोनिया होने का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं, विटामिन डी शरीर में वाइट ब्लड सेल्स को मॉड्यूलेट करता है जिससे कि इंफ्लामेट्री साइटोकिन्स को अधिक मात्रा में रिलीज होने से रोकने में मदद मिलती है।