Coronavirus Pandemic: देश में कोरोना वायरस के प्रकोप को कम करने के उद्देश्य से लगाए गए लॉकडाउन 4.0 का आज आखिरी दिन है। अगले एक हफ्ते में देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, होटल्स और रेस्ट्रॉन्ट्स खोले जाएंगे जबकि कंटेनमेंट वाले इलाकों में अभी भी इन चीजों पर मनाही रहेगी। पिछले करीब 68 दिनों से देश में लगे लॉकडाउन के बावजूद भी कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 8 हजार से भी अधिक नए मामले सामने आए हैं और 193 लोगों की मौत हुई है। देश में कोरोना पीड़ितों की कुल संख्या बढ़कर 1 लाख 82 हजार 143 पहुंच चुकी है जिनमें से 86 हजार 984 लोग ठीक हो चुके हैं या फिर होम क्वारंटीन में हैं। इस बीच, एक अध्ययन से पता चला है कि बारिश के मौसम में इस घातक वायरस से संक्रमण का खतरा अधिक है।
अध्ययन में ये बात आई सामने: अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में एपलाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेर्ड इवांस के अनुसार कोरोना वायरस पर बारिश का क्या असर होगा अभी यह पूरी तरह पता नहीं चल पाया है। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि बारिश में मौजूद नमी के कारण वायरस अधिक तीव्र हो जाएंगे जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में बरसात के मौसम में विशेषज्ञ लोगों को अधिक सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। वहीं, कई विशेषज्ञ ऐसा भी मान रहे हैं कि साबुन पानी के तरह बरसात का पानी अफेक्टेड एरिया डिसइंफेक्ट करने में सक्षम नहीं है।
ज्यादा दिनों तक रहता है वायरस: यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के एक शोध के अनुसार इस वायरस से जुड़े कई मामलों में 17 दिनों के बाद भी सतह पर कोरोना वायरस पाया गया है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इन हालातों में ये कहना मुश्किल है कि बारिश के पानी के संपर्क में आने से कोरोना वायरस साफ या कमजोर हो जाएगा। वहीं, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ, मेडिसिन और एपिडिमियोलॉजी के प्रोफेसर जेर्ड बेटेन की सोच ठीक इसके उलट है। उनका कहना है कि बारिश इस वायरस को डाइल्यूट करने में सक्षम है। उनके मुताबिक जिस प्रकार डस्ट बारिश के पानी में घुलकर बह जाती है, उसी तरह ये वायरस भी इसके साथ बह सकता है।
भारतीय हेल्थ एक्सपर्ट्स का ये है मानना: ICMR द्वारा कोविड-19 के लिए नाई गई रिसर्च एवं ऑपरेशन टीम के मेंबर को-एपिडेमोलॉजिस्ट प्रो.डॉ.नरेंद्र अरोड़ा के अनुसार बारिश में कोरोना के मामले कम होने की संभावना इसलिए भी नहीं है क्योंकि सिगापुर और इंडोनेशिया जैसे देश जहां पूरे साल बारिश होती है, इस घातक वायरस के संक्रमण के मामले वहां भी मौजूद हैं। वहीं, एम्स के कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय के मुताबिक अब तक कोरोना वायरस और बारिश के संबंध को लेकर अब तक कोई अध्ययन नहीं किया जा सका है। लेकिन बरसात के मौसम में टेंपरेचर और ह्यूमिडिटी दोनों में इजाफा होता है जिस कारण संक्रमण बढ़ने की अधिक आशंका है।