‘जल ही जीवन है’ यह सिर्फ कहने या फिर पढ़ने के लिए नाम मात्र की लाइन नहीं है, बल्कि हेल्दी और फिट शरीर के लिए पानी बहुत ही उपयोगी होता है। हम सभी दिन में कई बार पानी पीते हैं। प्यास बुझाने, शरीर को तरोताजा रखने या फिर सेहतमंद बनाए रखने के लिए पानी बेहद जरूरी है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पानी पीने का असर सिर्फ पानी की वजह से होता है या फिर उसमें इस्तेमाल होने वाले बर्तन का भी उस पर बड़ा असर होता है।
आमतौर पर ज्यादातर लोग पानी पीने के लिए स्टील, कांच या प्लास्टिक के गिलास इस्तेमाल करते हैं, लेकिन हमारे पूर्वज पहले से हर धातु या पदार्थ के बर्तन और सेहत के बीच के रिश्ते को समझते थे। आजकल तांबे की बोतल में पानी पीने का ट्रेंड भी काफी देखने को मिल रहा है। लेकिन क्या आपको पता है तांबा, पीतल या मिट्टी किस बर्तन में पानी पीना चाहिए और इसका सेहत पर क्या असर होता है।
आज की आधुनिक लाइफस्टाइल में तांबा, पीतल या मिट्टी के बर्तन में पानी पीने को ट्रेंड या फिर दिखावा माना जाता है, लेकिन असल में सही बर्तन से पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिन को बाहर निकालने से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने तक कई फायदे मिल सकते हैं। इससे शरीर का संतुलन बना रहता है और सेहत भी प्राकृतिक रूप से बेहतर होती है।
कॉपर
आयुर्वेद में तांबे को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। रात भर तांबे के बर्तन में रखे पानी को ताम्रजल के नाम से जाना जाता है। इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से बैक्टीरिया को मारते हैं। इस पानी को पीने से शरीर से विषैले तत्व यानी टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं, क्योंकि यह बर्तन प्राकृतिक रूप से पानी का पीएच लेवल बढ़ाता है।
इसके अलावा यह पानी नियमित रूप से पीने से पाचन में सुधार होता है, मोटापा कम करने में मदद मिलती है और त्वचा में भी निखार आता है। तांबे के बर्तन में पानी लंबे समय तक ठंडा रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत उपयोगी है। इस बर्तन में 24 घंटे पानी रखने से इसमें मौजूद E COLI जैसे हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं, लेकिन इस बर्तन को रोजाना साफ करना जरूरी है, नहीं तो इसमें मौजूद बैक्टीरिया हानिकारक हो सकते हैं।
मिट्टी के बर्तन
गर्मियों में पानी को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखने का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका मिट्टी के घड़े हैं। यह घड़ा न केवल पानी को ठंडा करता है, बल्कि उसमें प्राकृतिक खनिज मिलाकर पानी के पोषण मूल्य को भी बढ़ाता है, जिससे पानी प्राकृतिक रूप से क्षारीय हो जाता है। मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म खनिज शरीर को आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स प्रदान करते हैं, जिससे निर्जलीकरण की समस्या कम होती है। इस पानी को पीने से शरीर को प्राकृतिक रूप से नमी मिलती है और यह गर्मी से बचाता है।
कांसे के बर्तन
प्राचीन काल से ही कांसे को औषधीय गुणों वाली धातु माना जाता रहा है। कांसे के बर्तन का पानी पीने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और शरीर से विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन कम होते हैं। साथ ही कांसे में मौजूद सूक्ष्म तत्व त्वचा को चमकदार बनाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, यह पानी शरीर को संतुलित रखने में मदद करता है।
पानी पीने का सही तरीका
सुबह उठकर खाली पेट पानी पीना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जब आप रात को सोते हैं, तो आपके आंतरिक अंगों की डिटॉक्स प्रक्रिया लगातार काम कर रही होती है। इसलिए सुबह पानी पीने से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे पाचन तंत्र हल्का होता है और शरीर हाइड्रेटेड भी रहता है। हो सके तो रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी लेकर उसमें नमक डालकर अलग रख दें। सुबह उठते ही इस पानी को पीने के कई फायदे हैं। इससे मेटाबॉलिज्म भी बढ़ता है और त्वचा जवां दिखती है। आप सुबह गर्म पानी में नींबू निचोड़कर भी पी सकते हैं।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।
