बॉडी को डिटॉक्स करने का चलन जोरों पर है, क्योंकि लोग खराब डाइट का सेवन करते हैं और उनका लाइफस्टाइल भी दुरुस्त नहीं है। हेल्थ कांशियस लोग बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए अक्सर जूस क्लींजिंग का सहारा लेते हैं। जूस क्लींजिंग (Juice Cleansing) एक प्रकार की डिटॉक्स डाइट है जिसमें कुछ दिनों तक केवल फलों और सब्जियों के जूस का सेवन किया जाता है और सॉलिड फूड से परहेज किया जाता है। माना जाता है इस तरह की डाइट का सेवन करने से बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकलते है, वजन घटता है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। सालों से लोग बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए और अपने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को रीसेट करने के लिए जूस क्लींजिंग की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन एक नई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जूस क्लींजिंग डाइट आंतों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है।
हाल ही में न्यूट्रिएंट्स पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो लोग 3 दिनों से ज्यादा समय तक जूस का सेवन करते हैं उनकी बॉडी में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरियां की संख्या बढ़ जाती है। ये बैक्टीरिया संज्ञानात्मक गिरावट (cognitive decline) और आंत में सूजन से जुड़े हुए हैं। इस डाइट का सेवन करने से आंतों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. मेलिंडा रिंग ने कहा अधिकांश लोग जूसिंग को एक हेल्दी विकल्प मानते हैं लेकिन ये आंत के लिए ठीक नहीं है। जूस में कम फाइबर मौजूद होता है जिससे माइक्रोबायोम में असंतुलन हो सकता है, जिससे आंत में सूजन और आंत खराब हो सकती है। आइए जानते हैं कि जूस का सेवन करने से आंत की सेहत पर कैसे होता है असर।
जूस का सेवन कैसे गट हेल्थ पर डालता है नकारात्मक प्रभाव?
जूस पीना सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन अगर इसे कंप्लीट डाइट बना लिया जाए तो यह आपकी गट हेल्थ (आंतों के माइक्रोबायोम) को नुकसान पहुंचा सकता है। हाल ही में प्रकाशित न्यूट्रिएंट्स पत्रिका के एक अध्ययन के अनुसार केवल जूस बेस्ड डाइट लेने से आंतों में हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जिससे सूजन, पाचन संबंधी समस्याएं और आंतों की पारगम्यता (gut permeability) प्रभावित हो सकती है।
जूस का सेवन कैसे आंतों को पहुंचाता है नुकसान
जूस को बॉडी के लिए बेहद हेल्दी विकल्प माना जाता है लेकिन लगातार इसका सेवन आंत में सूजन कर सकता है और आंतों में लाखों खराब बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है। फल और सब्जियों का जूस बनाने से उसमें फाइबर निकल जाता है जो पाचन में मदद करता है। ये फाइबर आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है। डाइट में कम फाइबर का सेवन करने से आंतों में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ सकता है।
जूस में नेचुरल शुगर फ्रुक्टोज (Fructose) मौजूद होता है जो हानिकारक बैक्टीरिया और यीस्ट को बढ़ा सकता है जिससे सूजन और पेट की समस्याएं हो सकती हैं। शुगर का ज्यादा सेवन इंसुलिन स्पाइक्स और ब्लड शुगर असंतुलन का कारण भी बन सकता है। रिसर्च के मुताबिक लम्बे समय तक केवल जूस पीने से गट माइक्रोबायोम में बदलाव होता हैं जिससे खराब बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। कुछ रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि अधिक शुगर और कम फाइबर वाली डाइट लीकी गट सिंड्रोम (Leaky Gut Syndrome) का कारण बन सकता है, जिसमें आंत की परत कमजोर हो जाती है और हानिकारक तत्व रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।
क्या जूस क्लींजिंग से परहेज करना चाहिए?
संतुलित आहार के रूप में जूस का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद है लेकिन आप सिर्फ जूस का ही सेवन करेंगे तो ये डाइट आपकी आंतों को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे गट हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हमेशा विविध और संतुलित आहार का सेवन आंतों की सेहत के लिए उपयोगी है।
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