आंखें हमारे शरीर का सबसे अहम और सक्रिय हिस्सा हैं। दिनभर हम अपने कामों में सबसे ज़्यादा आंखों का ही इस्तेमाल करते हैं चाहे पढ़ना-लिखना हो, कंप्यूटर पर काम करना हो या मोबाइल पर रील्स देखना। लगातार स्क्रीन पर नजरें टिकाए रखने से आंखों पर ज़ोर पड़ता है जिससे आंखों में सूखापन, जलन, धुंधलापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
हमारी आंखें प्राकृतिक रोशनी में काम करने के लिए बनी हैं, लेकिन आजकल हम ज़्यादातर समय कृत्रिम रोशनी और डिजिटल स्क्रीन के बीच बिताते हैं। इसके अलावा नींद की कमी, गलत खानपान, विटामिन की कमी और तनाव भी आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। लम्बे समय तक स्क्रीन के साथ गुजारने से आंखें थकी हुई, सूखी और बोझिल लगती हैं। रोज़ाना कुछ मिनट आंखों को आराम देना, सही रोशनी में काम करना और न्यूट्रिएंट रिच डाइट लेना बेहद ज़रूरी है ताकि विज़न लंबे समय तक हेल्दी बना रहे।
एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ बिमल झाजर ने बताया हमारी उम्र में इजाफा होने के साथ बॉडी में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, जिसका असर हमारी आंखों पर साफ दिखता है। आंखों में कमजोरी होने पर दूर या पास की चीज़ें धुंधली दिखाई देती है, आंखों में जलन या सूखापन होता है, सिरदर्द, धुंधलापन, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और बार-बार आंखों को मलने जैसी दिक्कत होने लगती है। अगर आप भी आंखों से जुड़ी इन परेशानियों से तंग है तो सबसे पहले डाइट में कुछ जरूरी विटामिन को शामिल करें। कुछ पोषक तत्व आंखों की रोशनी बढ़ाते हैं और आंखों को हेल्दी रखते हैं।
विटामिन A
विटामिन A, जिसे रेटिनॉल भी कहा जाता है, आंखों की रेटिना में मौजूद पिगमेंट बनाने में मदद करता है। यह कम रोशनी में देखने की क्षमता को बेहतर बनाता है। इसकी कमी से रात में दिखाई देने में दिक्कत और आगे चलकर विज़न लॉस हो सकता है। बॉडी में इस विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में पशुओं का लीवर, अंडे की जर्दी, फुल-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स और नारंगी रंग की सब्ज़ियां जैसे गाजर और कद्दू का सेवन करें।
विटामिन C
विटामिन C जिसे एस्कॉर्बिक एसिड कहते हैं ये आंखों के एक्वेस ह्यूमर फ्लुइड में पाया जाता है और यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से आंखों की सुरक्षा करता है। अध्ययनों के अनुसार विटामिन C युक्त डाइट महिलाओं में मोतियाबिंद का खतरा 33% तक कम करता है। विटामिन सी से भरपूर फूड्स में संतरा, नींबू, स्ट्रॉबेरी, कीवी, शिमला मिर्च, ब्रोकोली, और ब्रसेल्स स्प्राउट्स शामिल है।
विटामिन E
विटामिन E, आंखों की कोशिकाओं में मौजूद फैटी एसिड को ऑक्सिडेशन से बचाने वाला एंटीऑक्सीडेंट है। यह फ्री रेडिकल्स को रोककर रेटिना की कोशिकाओं की उम्र बढ़ाता है। बॉडी में इस विटामिन की भरपाई करने के लिए डाइट में बादाम, सूरजमुखी के बीज, गेहूं का तेल, हेज़लनट और अन्य नट्स का सेवन करें।
कैरोटीनॉयड (ल्यूटिन और ज़ियाजैंथिन)
ल्यूटिन और जियाजैंथिन दो पिगमेंट आंखों की रेटिना और मैक्यूल में जमा होते हैं और उन्हें सूरज की हानिकारक रोशनी से बचाते हैं। रिसर्च के मुताबिक इसका सेवन एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (AMD) और मोतियाबिंद की प्रगति को धीमा करता है। इसकी भरपाई करने के लिए आप डाइट में पालक, केल, स्विस चार्ड, रास्पबेरी, पीच का सेवन करें।
फ्लेवोनॉयड्स
फ्लेवोनॉयड्स पौधों में पाए जाने वाले यौगिक हैं जो रेटिना के गैंग्लियन सेल्स की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं। ये आंखों की ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाते हैं और विज़न को सपोर्ट करते हैं। इसे हासिल करने के लिए आप डाइट में फलों, सब्ज़ियों, ग्रीन टी और डार्क चॉकलेट का सेवन करें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड्स है जरूरी
ओमेगा-3 रेटिना की सेल मेम्ब्रेन को हेल्दी रखते हैं और ड्राई आई सिंड्रोम, मैक्युलर डिजनरेशन और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों के जोखिम को घटाते हैं। बॉडी में ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी को पूरा करने के लिए आप सैल्मन, सार्डिन, मैकेरल मछली, अलसी के बीज, चिया सीड्स और अखरोट का सेवन करें।
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