किचन में मौजूद मसाले औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं जो सेहत पर अमृत की तरह असर करते हैं। मसालों में बात करें हल्दी की तो इसे गोल्डन स्पाइस कहा जाता है। ये मसाला खाने की रौनक और स्वाद दोनों बढ़ाता है। हल्दी में ऐसे औषधीय गुण मौजूद हैं जिसे कई रिसर्च में प्रमाणित किया जा चुका है। आयुर्वेद में हजारों वर्षों से इस मसाले का सेवन कई बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन जब हल्दी को काली मिर्च के साथ लिया जाता है, तो इसका असर कई गुना बढ़ जाता है। हल्दी के साथ काली मिर्च भी औषधीय गुणों से भरपूर मसाला है।
अधिकांश लोग काली मिर्च को केवल मसाले के रूप में जानते हैं, लेकिन यह भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। हेल्थलाइन के मुताबिक हल्दी और काली मिर्च में ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं जो बॉडी की सूजन को कंट्रोल करते हैं। इन दोनों मसालों में एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनिटी को मजबूत करने वाले गुण मौजूद होते हैं जो बीमारियों से बचाव करते हैं। आइए जानते हैं कि हल्दी और काली मिर्च का सेवन कॉम्बिनेशन करके खाने से सेहत पर कैसा होता है असर।
हल्दी में करक्यूमिन का असर
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) सबसे अधिक सक्रिय और प्रभावशाली यौगिक होता है। यह एक पॉलीफेनॉल (Polyphenol) है, जिसमें कई लाभकारी गुण होते हैं। ये एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी , एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व है। करक्यूमिन की एक बड़ी कमी यह है कि यह शरीर में अच्छी तरह अवशोषित (absorb) नहीं हो पाता।
काली मिर्च में पाइपरीन (Piperine) का असर
काली मिर्च में पाइपरीन (Piperine) नामक एक बायोएक्टिव कंपाउंड पाया जाता है, जो कैप्साइसिन की तरह एक एल्कलॉइड (alkaloid) है। पाइपरीन एक ऐसा यौगिक है जो जी मिचलाना, सिरदर्द, अपच जैसी समस्याओं में राहत देता है और यह भी सूजनरोधी गुण रखता है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये हल्दी के करक्यूमिन के अवशोषण को 2000% तक बढ़ा देता है।
पाइपरीन कैसे बढ़ाता है करक्यूमिन का असर
आमतौर पर करक्यूमिन शरीर में बहुत कम मात्रा में अवशोषित होता है, इसलिए इसके सीमित फायदे ही मिल पाते हैं, लेकिन जब आप हल्दी के साथ काली मिर्च को कॉम्बिनेशन करके खाते हैं तो पाइपरीन इसकी जैव-उपलब्धता (bioavailability) को काफी बढ़ा देता है। एक अध्ययन के अनुसार, 20 मिलीग्राम पाइपरीन के साथ 2 ग्राम करक्यूमिन लेने पर उसका अवशोषण 20 गुना बढ़ गया। पाइपरीन करक्यूमिन को आंतों की दीवार से रक्त प्रवाह (bloodstream) में आसानी से गुजार देता है। यह लिवर में करक्यूमिन के टूटने की प्रक्रिया को धीमा करता है, जिससे यह शरीर में अधिक समय तक सक्रिय रहता है।
हल्दी और काली मिर्च को कॉम्बिनेशन में खाने के फायदे
सूजन और दर्द में मिलती है राहत
हल्दी और काली मिर्च दोनों के अपने-अपने फायदे हैं, लेकिन साथ लेने पर इनके प्रभाव कई गुना बढ़ जाते हैं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन शक्तिशाली सूजनरोधी (anti-inflammatory) गुण रखता है। कई रिसर्च ये साबित करती हैं कि इसका सेवन करने से ये दवाओं जितना प्रभावी साबित हो सकता है वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। यह आर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द में राहत देता है। वहीं पाइपरीन भी एंटी-आर्थराइटिक गुणों वाला है और ये शरीर के दर्द रिसेप्टर्स को शांत करता है, जिससे दर्द और सूजन दोनों में आराम मिलता है।
कैंसर से करता है बचाव
कई रिसर्च में पता चला है कि करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और फैलाव को रोकने में मदद कर सकता है। पाइपरीन भी कुछ प्रकार की कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और ट्यूमर के जोखिम को कम करने में मददगार होता है। दोनों मसालों को एक साथ खाने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट, पैंक्रियाज और कोलन कैंसर से बचाव किया जा सकता है।
पाचन में होता है सुधार
आयुर्वेद में हल्दी का इस्तेमाल सदियों से पाचन सुधारने के लिए किया जाता रहा है। यह गैस, अपच और आंतों में ऐंठन जैसी समस्याओं को दूर करती है। काली मिर्च पाचन एंजाइमों को सक्रिय कर भोजन के पाचन और अवशोषण को तेज करती है। दोनों की सूजनरोधी प्रकृति आंतों में सूजन को कम कर पेट को हेल्दी रखती है।
दोनों का कितना करें सेवन
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन और पाइपरीन आमतौर पर सुरक्षित माने जाते हैं। हालांकि बहुत अधिक मात्रा में लेने पर कुछ लोगों को मतली, सिरदर्द या त्वचा पर रैश जैसी समस्याएं हो सकती हैं। WHO के अनुसार 3 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम बॉडी वेट यानी 80 किलो वजन वाले व्यक्ति के लिए लगभग 245 मिलीग्राम हल्दी पर्याप्त है।
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