खराब जीवनशैली के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में फैटी लिवर की बीमारी भी है। लिवर, बॉडी के सबसे बड़े अंगों में से एक है। यह खाना पचाने के साथ-साथ ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने, प्रोटीन बनाने, एनर्जी स्टोर करने और शरीर से टॉक्सिन पदार्थों को दूर करने में मदद करता है। लेकिन वर्तमान समय में खराब खानपान के कारण लोग फैटी लिवर की बीमारी की चेपट में आ जाते हैं। बता दें कि वैसे तो लिवर पर फैट की थोड़ी मात्रा पहले से ही मौजूद होती है लेकिन जब यह अपने वजन से 10 गुना अधिक हो जाए तो इस स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है।

इस स्थिति में लिवर पूरी तरह से सिकुड़ जाता है और यह अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पाता। कई बार फैटी लिवर के कारण सिरोसिस और कैंसर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 10 लाख लोग लिवर की बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स फैटी लिवर के मरीजों को दवाइयों और व्यायाम के साथ-साथ अपने खानपान का अधिक ध्यान रखने की सलाह देते हैं।

क्या फैटी लिवर के मरीज कर सकते हैं दूध का सेवन: स्वस्थ लोगों को आमतौर पर दूध पीने की सलाह दी जाती है। क्योंकि दूध में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन ए, फॉस्फोरस, सोडियम और पोटेशियम की अच्छी-खासी मात्रा मौजूद होती है। यह पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं। हालांकि फैटी लिवर के मरीजों के लिए दूध स्लो पॉइजन की तरह कार्य करता है।

फैटी लिवर के मरीजों को खाना पचाने में काफी दिक्कत होती है, इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स लिवर के मरीजों को खानपान का विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हैं। आयुर्वेद जानकारों की मानें तो फैटी लिवर के मरीजों के लिए दूध पीना हानिकारक माना गया है। क्योंकि दूध में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है, जिसे पचाने में काफी समय लगता है। इसके कारण सूजन और फैट की समस्या भी बढ़ने लगती है। इसलिए फैटी लिवर के मरीजों को दूध का सेवन करने से बचना चाहिए।