अच्छा खानपान ही हेल्दी शरीर का आधार है। हेल्दी लाइफस्टाइल और खानपान के चलते ही शरीर बीमारियों की चपेट से दूर रहता है, लेकिन कोई अच्छा खाना खाने के बाद भी थकान, सुस्ती या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस करता है तो ये कोई आम बात नहीं है। अक्सर लोग इन संकेतों को नींद की कमी या फिर सही खानपान नहीं होने का कारण समझ लेते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट से मुताबिक, अगर यह समस्या बार-बार हो रही है तो यह ब्लड शुगर असंतुलन और आंतों की सेहत से जुड़ा संकेत हो सकता है। इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही ये दिमाग को भी ज्यादा प्रभावित करता है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, खाना खाने के बाद बार-बार थकान, सुस्ती या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस होती है, तो ये ब्रेन फॉग का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में इन लक्षणों की पहचान और समय पर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, ताकि आने वाले समय में किसी गंभीर बीमारी का शिकार होने से बचा जा सके।
क्या है ब्रेन फॉग?
ब्रेन फॉग कोई मेडिकल टर्म नहीं है, लेकिन यह एक वास्तविक अनुभव है। इसमें व्यक्ति को लगता है कि उसकी याददाश्त कमजोर हो रही है, उसे मानसिक थकान हो रही है या फिर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो रही है। दिल्ली के उजाला सिग्नस अस्पताल के निदेशक डॉ. शुचिन बजाज के अनुसार, ब्रेन फॉग के कारण व्यक्ति के व्यवहार में तेजी से बदलाव आता है। ऐसी स्थिति में काम में दिल न लगना, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, लगातार सिर दर्द और छोटी-छोटी बातें भूल जाने आदि की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ब्लड शुगर लेवल स्पाइक
जब हम ज्यादा कार्बोहाइड्रेट या कम प्रोटीन वाला भोजन करते हैं, तो शरीर में अचानक इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है। इससे ब्लड शुगर तेजी से ऊपर जाता है और फिर अचानक गिर जाता है। इस गिरावट से दिमाग को पर्याप्त एनर्जी नहीं मिलती और व्यक्ति थका हुआ, सुस्त और फॉग्गी महसूस करता है। ऐसी स्थिति में भोजन में प्रोटीन और हेल्दी फैट शामिल करें, ताकि शुगर धीरे-धीरे अवशोषित हो। खाने के बाद 10–15 मिनट की हल्की वॉक करें।
हाई ब्लड शुगर का असर
लंबे समय तक बढ़ा हुआ ब्लड शुगर भी खतरनाक हो सकता है। CDC की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई ब्लड शुगर मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होती है। जिसके चलते याददाश्त की समस्या, सोचने-समझने की क्षमता में कमी और धीरे-धीरे वैस्कुलर डिमेंशिया जैसी गंभीर स्थितियां हो सकती हैं।
क्या फूड सेंसिटिविटी भी जिम्मेदार है?
कई बार कुछ खास फूड्स खाने के बाद पेट फूलना, असहजता और मानसिक धुंधलापन महसूस हो सकता है। इसका कारण ग्लूटेन, डेयरी, रिफाइंड ऑयल या एडिटिव्स हो सकते हैं। ये तत्व शरीर में सूजन को ट्रिगर करते हैं और साइटोकाइन छोड़ते हैं, जिससे दिमाग का कामकाज प्रभावित होता है।
आंत और दिमाग का संबंध
हमारी आंत और दिमाग लगातार एक-दूसरे से संवाद करते हैं, लेकिन जब आंतों में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है, तो यह संबंध सूजन पैदा कर देता है। आंत की खराब लाइनिंग और हानिकारक बैक्टीरिया शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ाते हैं। ये टॉक्सिन्स दिमाग तक सूजन के सिग्नल भेजते हैं। जिसके चलते व्यक्ति लगातार ब्रेन फॉग, ध्यान की कमी और यहां तक कि मूड स्विंग्स का शिकार हो सकता है।
ब्रेन फॉग से बचाव कैसे करें?
- हर भोजन में कम से कम 30 ग्राम प्रोटीन शामिल करें।
- खाने के बाद 10-15 मिनट टहलें।
- सीड ऑयल और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं।
- धीरे-धीरे और आराम से खाएं, ताकि पाचन बेहतर हो।
वहीं, डेली लाइफ में छोटी-छोटी आदतों को शामिल करना दिमाग के साथ-साथ सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। अच्छी नींद, नियमित व्यायाम, सही आहार, ध्यान और नई चीजें सीखने जैसी आदतें दिमाग को एक्टिव और मजबूत बनाती हैं।