कामकाज की भागदौड़ और व्यस्तता के चलते आज से समय में लोगों के पास अपने लिए भी समय नहीं बचा है। जिसके चलते खराब खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल बढ़ गया है। ऐसे में लोगों के पास न तो खुद के लिए वक्त है और न ही अपनी हेल्थ पर ध्यान देने के लिए समय है। इसका सबसे ज्यादा असर हेल्थ से साथ-साथ दिमाग पर पड़ता है। केयर हॉस्पिटल्स, मालकपेट के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. मुरली कृष्ण ने मस्तिष्क के नए कनेक्शन बनाने की क्षमता के महत्व पर जोर दिया है।
डॉ. मुरली कृष्ण के मुताबिक, दुनियाभर के लोग मेंटल हेल्थ से जूझ रहे हैं, ज्यादातर लोगों की मेंटल हेल्थ ठीक नहीं है। इसका सबसे मुख्य कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल और तनाव है। हालांकि, मेंटल हेल्थ से छुटकारा पाने के लिए लोग महंगी दवाओं और थेरेपी का सहारा भी लेते हैं, लेकिन ये चीजें ज्यादा समय तक कारगर साबित नहीं होती और फिर कुछ समय बाद स्थिति वैसे ही जाती है। ऐसे में डॉ. मुरली कृष्ण ने ऐसी एक्सरसाइज बताई हैं, जिन्हें करने से न सिर्फ ब्रेन हेल्थ अच्छी होगी, बल्कि कई समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है। इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ेगा।
ध्यान और ब्रेथिंग एक्सरसाइज
रोज सुबह या रात को कम से कम 10 मिनट अनुलोम–विलोम, कपालभाति और ब्रह्मरी प्राणायाम करें। शांत वातावरण में बैठकर 5 मिनट का माइंडफुल मेडिटेशन करें। ध्यान और माइंडफुलनेस प्रेक्टिस दिमाग को केंद्रित करना और बिना किसी निर्णय के अपने विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं के प्रति जागरूक होना शामिल है। नियमित मेडिटेशन से तनाव कम हो सकता है। इससे फोकस और मेंटल हेल्थ अच्छी होती है। प्रतिदिन 10-20 मिनट किसी शांत जगह पर बैठकर अपनी सांसों या किसी खास मंत्र पर ध्यान केंद्रित करें। जब आपका मन भटक जाए, तो धीरे से अपना ध्यान वापस लाएं।
माइंड गेम और पहेलियां
दिमाग को चुस्त-दुरुस्त बनाने वाली इस एक्सरसाइज को आप अपने घर पर ही बैठकर कर सकते हैं। सुडोकू, क्रॉसवर्ड पहेलियां और मेमोरी कार्ड गेम जैसे खेल याददाश्त और संज्ञानात्मक लचीलेपन में सुधार होता है। ये तंत्रिका कनेक्शन को मजबूत कर सकती हैं। ये खेल न्यूरॉन कनेक्शन मजबूत करते हैं, सोचने की गति बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। इससे निर्णय लेने और समस्या सुलझाने की क्षमता में सुधार होता है।
न्यूरोप्लास्टिसिटी
मस्तिष्क जीवन भर नए तंत्रिका कनेक्शन बनाकर खुद को पुनर्गठित कर सकता है। मानसिक व्यायाम करने से यह प्रक्रिया उत्तेजित होती है, जिससे सीखने, याददाश्त और नई परिस्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता बढ़ती है।
संज्ञानात्मक गिरावट को रोकना
नियमित मस्तिष्क व्यायाम उम्र बढ़ने के साथ जुड़ी प्राकृतिक संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा करने में मदद कर सकता है। यह मस्तिष्क को सक्रिय और व्यस्त रखता है, जिससे अल्जाइमर और मनोभ्रंश जैसी स्थितियों का जोखिम कम हो सकता है।
एकाग्रता बढ़ाना
मानसिक व्यायाम कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बेहतर बनाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें अक्सर निरंतर ध्यान और कार्यशील याददाश्त के उपयोग की आवश्यकता होती है, जो समय के साथ इन संज्ञानात्मक क्षमताओं को मजबूत करता है।
याददाश्त में सुधार
जिस तरह शारीरिक व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत करता है, उसी तरह मानसिक व्यायाम तंत्रिका मार्गों को मजबूत करता है। इससे जानकारी को बेहतर तरीके से याद रखने और याद रखने में मदद मिलती है। इससे याददाश्त में बहुत सुधार होता है।
आंतों की सूजन होने पर तेजी से बनती है पेट में गैस, इन 5 फूड को तुरंत डाइट का बना लें हिस्सा, बिना दवा सुधर जाएगी गट हेल्थ। पूरी जानकारी हासिल करने के लिए लिंक पर क्लिक करें।