बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। चालीस की उम्र पार करने के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और बीमार होने के चांस ज्यादा होते हैं। मधुमेह के रोगियों पर उम्र बढ़ने का अधिक प्रभाव पड़ता है। शुगर के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है और बढ़ती उम्र का असर उनकी सेहत पर भी नजर आ रहा है।
शुगर को कंट्रोल करने के लिए डायबिटीज के मरीज शरीर को एक्टिव रखते हैं, लाइफस्टाइल में बदलाव करते हैं, तनाव से दूर रहते हैं और डाइट पर कंट्रोल करते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए रोजाना शुगर की जांच करना बेहद जरूरी है। मधुमेह का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है। खून में शुगर का स्तर बढ़ने से इसका असर हृदय, किडनी, फेफड़े और आंखों पर भी देखने को मिलता है। आइए जानते हैं कि उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड शुगर का स्तर-
ब्लड शुगर चेक करने का सही समय क्या है ?
अगर आप अपने शुगर लेवल के बारे में सटीक जानकारी चाहते हैं, तो आपको इसे सुबह ही माप लेना चाहिए। सुबह खाली पेट, फास्टिंग के समय रीडिंग लेना सबसे अच्छा है। डिनर और मॉर्निंग चेकअप के बीच करीब 8 घंटे का गैप होना चाहिए।
उम्र के हिसाब से इतना होना चाहिए ब्लड शुगर का स्तर
- 6-12 वर्ष की आयु में फास्टिंग के दौरान रक्त शर्करा 80 से 180 mg/dl होना चाहिए, जबकि दोपहर के भोजन के बाद इसकी सीमा 140 mg/dl तक होनी चाहिए। वहीं, अगर यह रात के खाने के बाद 100 से 180 mg/dl तक रहता है, तो यह सामान्य सीमा है।
- 13-19 साल की उम्र में फास्टिंग शुगर लेवल 70 से 150 mg/dl और लंच के बाद 140 mg/dl और डिनर के बाद 90 से 150 mg/dl होना चाहिए।
- 20-26 वर्ष के आयु वर्ग में फास्टिंग रेंज 100 से 180 mg/dl और दोपहर के भोजन के बाद 180 mg/dl होना चाहिए। रात के खाने के बाद यह सीमा 100 से 140 mg/dl तक सामान्य मानी जाती है।
- 27 से 32 साल की उम्र में फास्टिंग रेंज 100 mg/dl, लंच के बाद 90-110 mg/dl और डिनर के बाद 100 से 140 mg/dl है।
- 33 से 40 वर्ष की आयु में फास्टिंग रेंज 140 mg/dl, दोपहर के भोजन के बाद 160 mg/dl और रात के खाने के बाद 90 से 150 mg/dl है।
- 50-60 और उससे अधिक उम्र में फास्टिंग रेंज 90 से 130 mg/dl और दोपहर के भोजन के बाद 140 mg/dl से कम होना चाहिए। जबकि रात के खाने के बाद 150 mg/dl तक की सामान्य सीमा होती है।