खांसी में खून आना कभी भी मामूली समस्या नहीं है। खांसी के साथ खून देखना किसी को भी डरा सकता है। मेडिकल भाषा में इसे हेमोप्टाइसिस कहा जाता है। कई लोग इसे साधारण खांसी या गले की खराश का असर मानकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यह फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है। यह टीबी, लंग कैंसर, ब्रॉन्किएक्टेसिस और पल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसी स्थितियां खांसी में खून आने की बड़ी वजह हो सकती हैं, जिनका समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
2022 में इंडियन जर्नल ऑफ मायकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में हेमोप्टाइसिस के लगभग 60% मामले टीबी से जुड़े होते हैं। वहीं, BMC Pulmonary Medicine के अध्ययन के अनुसार, अगर बड़े पैमाने पर खून बहने यानी मैसिव हेमोप्टाइसिस का समय पर इलाज न किया जाए, तो मौत की संभावना 50% से ज्यादा होती है।
क्या है हेमोप्टाइसिस
हेमोप्टाइसिस का मतलब है फेफड़ों या निचले श्वसन तंत्र से आने वाला खून। यह खून झागदार, चमकीला लाल या बलगम के साथ मिलकर भी निकल सकता है। यह खून नाक, मुंह या पेट से आने वाले खून से अलग होता है।
कितना खतरनाक हो सकता है खून आना
बड़े पैमाने पर हेमोप्टाइसिस को आमतौर पर 24 घंटे के भीतर 200 से 600 मिलीलीटर से अधिक खून निकलना या सांस लेने में बाधा उत्पन्न करने वाली किसी भी मात्रा के रूप में परिभाषित किया जाता है। BMC स्टडी के अनुसार, हल्का हेमोप्टाइसिस कभी-कभी इन्फेक्शन या मामूली जलन से हो सकता है, लेकिन मॉडरेट या मैसिव हेमोप्टाइसिस में स्थिति गंभीर हो सकती है, लेकिन अनियंत्रित मैसिव हेमोप्टाइसिस में मृत्यु दर 50% से अधिक होती है।
टीबी
फेफड़ों की टीबी हेमोप्टाइसिस का सबसे बड़ा कारण है। एक्टिव टीबी संक्रमण और पुरानी टीबी से बनी स्कोरिंग दोनों ही खून बहने का कारण बन सकते हैं। 2022 के भारतीय अध्ययन ने पुष्टि की है कि 60 प्रतिशत मामलों में टीबी ही हेमोप्टाइसिस का एक प्रमुख कारण है।
ब्रॉन्किएक्टेसिस
ब्रोन्किइक्टेसिस तब होता है जब बार-बार होने वाले संक्रमण वायुमार्गों को नुकसान पहुंचाते हैं और रक्त वाहिकाओं को कमजोर बना देते हैं। बार-बार होने वाले फेफड़ों के संक्रमण से एयरवे की दीवारें कमजोर हो जाती हैं, जिससे खून आने की संभावना बढ़ती है। मैसिव हेमोप्टाइसिस के मामलों में ब्रॉन्किएक्टेसिस प्रमुख कारणों में से एक है।
श्वसन संक्रमण
निमोनिया या ब्रोंकाइटिस फेफड़ों के ऊतकों में सूजन पैदा कर सकता है और छोटी रक्त वाहिकाओं को तोड़ सकता है, जिससे थूक में खून की धारियां बन सकती हैं। ये मामले कम खतरनाक होते हैं, लेकिन फिर भी चिकित्सकीय जांच की जरूरत होती है।
लंग कैंसर
फेफड़ों में ट्यूमर के बढ़ने से रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। कई मरीजों में हेमोप्टाइसिस फेफड़ों के कैंसर का पहला संकेत होता है। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
हेमोप्टाइसिस के चेतावनी संकेत
- खांसी में बड़ी मात्रा में खून आना
- कई दिनों तक बार-बार खून आना
- सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द या चक्कर आना
- रात को पसीना, बुखार या बिना वजह वजन कम होना
- टीबी, धूम्रपान या फेफड़ों की पुरानी बीमारी का इतिहास
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