Bhang Health Benefits, Benefits in Cancer, Headache, Digestive Problems, Skin: देश में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज के लिए अब नई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। जिनमें से एक है भांग का प्रयोग। इसी आधार पर मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में भांग की खेती को वैध करने का फैसला लिया है। मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में चिकित्सा और औद्योगिक उद्देश्य के लिए राज्य में भांग की खेती को वैध बनाने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश के कानून मंत्री पी.सी. शर्मा ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की अगुआई वाली सरकार भांग की खेती (मारिजुआना का एक प्रकार) की अनुमति देगी, जिसका उपयोग कैंसर के उपचार में चिकित्सा उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। शर्मा ने कहा कि संवर्धित भांग का उपयोग उपभोग या व्यापार के लिए नहीं किया जाएगा और इस कृषि परियोजना को अंतर्राष्ट्रीय मदद की आवश्यकता होगी। कानून मंत्री ने कहा कि यह खाने के लिए नहीं है। कैंसर की दवा बनाने के लिए इसकी खेती की जा रही है।
पिछले साल आयुष मंत्रालय की संस्था सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस (सीसीआरएएस) ने भांग से कैंसर के उपचार की दवा को तैयार करने का दावा किया था। यह सरकार का पायलट प्रोजेक्ट था, जो सफल रहा। इसके बाद भांग से बनी दवा का उपयोग एम्स में इलाज के लिए आने वाले कैंसर मरीजों पर किया जाना था। इसके लिए एम्स और आयुष मंत्रालय में समझौता भी हुआ था। सीसीआरएएस के महासचिव डॉ. केएस धीमान ने बताया था कि भांग से तैयार दवा को मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में भर्ती मरीजों पर आजमाया गया। उन्होंने बताया था कि इसका उपयोग कैंसर के उन मरीजों पर किया जाता है जिनको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी गई हो। थेरेपी के बाद मरीज को असहनीय दर्द, नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना, डायरिया और एंजायटी की समस्या रहती है। इन परिस्थितियों में यह दवा कारगर है। कैंसर के इलाज का एक अध्ययन चूहों पर किया गया, जिससे पता चला कि भांग की सहायता से कैंसर की बीमारी का उपचार किया जा सकता है।
आमतौर पर भांग को लोग नशे में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसके कुछ ऐसे पौधे होते हैं जिसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। वहीं कई सालों के गहन अध्ययन, पशु और मानव परीक्षणों के फलस्वरूप वैज्ञानिकों ने पाया कि भांग में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिसका इस्तेमाल दवा के रूप मेंं भी किया जा सकता है। भांग का इस्तेमाल कैंसर, मिर्गी और स्किल सेल रोग के उपचार के लिया जाता है। औषधीय गुण वाले भांग में कैनाबाइडियॉल (सीबीडी) मौजूद होता है, जो कीमोथेरेपी के साइडइफेक्ट को कम करता है। जिससे मरीजों को भूख बढ़ने, चिड़चिड़ापन कम, उल्टी जैसी परेशानी खत्म हो सकती है। यही नहीं भांग से बनी दवा कैंसर मरीजों के मूड को भी बेहतर बनाती है। भांग से बनी दवा का इस्तेमाल कई मानसिक बीमारियों में भी किया जाता है।
भारत में मारिजुआना को वैध बनाने की लंबे समय से बहस चल रही है। शशि थरूर जैसे कई बड़े नेता सहित बुद्धिजीवी, योग शिक्षक बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने इसकी खेती का समर्थन किया है। वैधीकरण के समर्थन में लोगों का तर्क है कि इस पौधे का कैंसर के उपचार सहित कई दवाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है। गौरतलब है कि 2017 में, तत्कालीन केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री, मेनका गांधी ने सुझाव देश में मारिजुआना की खेती को वैध किए जाने का सुझाव दिया था। 2017 में, उत्तराखंड किसानों को गांजा की खेती करने की अनुमति देने वाला पहला भारतीय राज्य बना था। किसानों को भांग उगाने के लिए आबकारी विभाग से लाइसेंस लेना होगा। उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश सरकार भी इस साल कानून के दायरे में भांग की खेती को मंजूरी देने की तैयारी कर रही है।
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