Blood Sugar Range: ब्लड शुगर या ग्लूकोज शरीर को उर्जा प्रदान करने का मुख्य स्रोत होता है। आमतौर पर भोजन में मौजूद कार्बोहाइड्रेट्स के जरिये ग्लूकोज बनते हैं। लेकिन मधुमेह बीमारी से ग्रस्त मरीजों का शरीर ग्लूकोज को इस्तेमाल नहीं कर पाता है जिससे उनके रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है। शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से कार्डियोवास्कुलर डिजीज, किडनी रोग, आंखों से संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। बता दें कि शरीर का नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल 70-99 mg/dl के बीच होता है। वहीं, मधुमेह बीमारी से ग्रस्त मरीजों को फास्टिंग और खाने के दो घंटे बाद शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए।
खाने से पहले कितना होना चाहिए शुगर लेवल: जब व्यक्ति ने आठ घंटे या उससे अधिक समय से कुछ भी ना खाया हो तो उसे फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल कहते हैं। इसमें सामान्य शुगर लेवल 70 से 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर के बीच में होता है।
जिन लोगों का शुगर लेवल फास्टिंग में 100 से 126 mg/dl के बीच होता है उन्हें प्री-डायबिटीज की श्रेणी में रखा जाता है। जबकि 130 mg/dl या उससे अधिक शुगर लेवल डायबिटीज की ओर इशारा करता है। इससे अधिक ब्लड शुगर लेवल खतरनाक माना जाता है।
भोजन के बाद कितना होना चाहिए रक्त शर्करा: इस जांच को अंग्रेज़ी में पोस्ट प्रैन्डियल ब्लड शुगर टेस्ट कहते हैं। खाने के 2 घंटे बाद स्वस्थ लोगों का ब्लड शुगर तकरीबन 130 से 140 mg/dl के बीच में रहना चाहिए। इससे ज्यादा शुगर लेवल को डायबिटीज का लक्षण माना जा सकता है।
अगर व्यक्ति के शरीर में ब्लड शुगर लेवल की मात्रा 200 से 400 mg/dl के बीच होती है, तो यह स्तर खतरनाक माना जाता है। इस स्थिति को हाईपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। इससे दिल का दौरा और ब्रेन स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, मल्टीपल ऑर्गन फेलियर भी हो सकता है।
किन बातों का रखें ध्यान: डायबिटीज रोगियों के खाने का टाइम फिक्स होना बहुत जरूरी है। रात का खाना ज्यादा देरी से न खाएं, सोने से दो घंटे पहले डिनर कर लें। साथ ही, मरीजों को रात में चावल खाने से बचना चाहिए। कोशिश करें कि डाइट में कार्ब्स कम और फाइबर अधिक मात्रा में शामिल करें। दवाइयों के साथ ही, फिजिकल एक्टिविटीज भी करें।