बॉडी में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से गठिया नाम की बीमारी हो सकती है। गठिया-बाय को मेडिकल टर्म में अर्थराइटिस कहा जाता है। आज के समय में खराब इम्युनिटी, हार्मोन्स में असंतुलन, मोटापा, शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी, अनुवांशिकता, दवाइयों के साइड इफेक्ट, कार्टिलेज घिसना और हाई यूरिक एसिड के कारण गठिया की बीमारी हो सकती है।
गठिया के लक्षण: अर्थराइटिस की बीमारी के कारण घुटनों में दर्द, सूजन, चलने-फिरने में तकलीफ, स्किन लाल हो जाना, जोड़ों में दर्द, हड्डियों का टूटना और जोड़ों में अकड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में हाई यूरिक एसिड की समस्या को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों के साथ-साथ खानपान और जीवन-शैली में बदलाव करना बेहद ही जरूरी है। इसके अलावा आप अपने रूटीन में योग भी शामिल कर सकते हैं।
गठिया में मीठा: एक शोध के मुताबिक गठिया के मरीजों के लिए मीठी चीजों का सेवन बेहद ही खतरनाक होता है। गठिया के मरीजों में एक खास प्रोटीन बनता है, जिसका नाम एसीपीए है। इस प्रोटीन के कारण ही तेज दर्द की समस्या होती है। वहीं मीठी चीजें शरीर में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ा देती हैं, जिसके कारण दर्द भी बढ़ सकता है।
गठिया के मरीजों के लिए योग:
मकरासन: अर्थराइटिस के मरीजों के लिए मकरासन बेहद ही लाभदायक हो सकता है। यह फेफड़ों को मजबूत करने के साथ ही तनाव को भी दूर करता है। साथ ही कमर दर्द और पेट से जुड़ी समस्याओं में भी राहत पहुंचाता है।
भुजंगासन: भुजंगासन का नियमित तौर पर अभ्यास करने से बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर नियंत्रित रहता है। साथ ही तनाव और चिंता से दूर रहने में मदद मिलती है। भुजंगासन से कमर का निचला हिस्सा मजबूत होता है। यह लिवर और किडनी संबंधित बीमारियों के खतरे से भी बचाता है।
शलभासन: शलभासन पूरे नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है। बाबा रामदेव के अनुसार यह फेफड़ों को सक्रिय बनाकर खून को साफ करता है। इसके अलावा यह कंधों और हाथ की हड्डियों को भी मजबूत करता है।
मर्कटासन: गठिया के मरीजों के लिए यह आसन काफी फायदेमंद है। यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, जिससे पीठ के दर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा यह किडनी, पैन्क्रियाज और लिवर आदि को भी एक्टिव करता है।