शरीर के किसी भी हिस्से जैसे गर्दन, बगल, पीठ, कमर, जांघ, स्तन या स्किन के नीचे गांठ बनना एक आम समस्या है। ज्यादातर गांठें साधारण होती हैं और किसी तरह का नुकसान नहीं करतीं, लेकिन कुछ मामलों में ये शरीर के भीतर हो रहे संक्रमण, हार्मोनल बदलाव या किसी गंभीर बीमारी का शुरुआती संकेत भी हो सकती हैं। गांठ आमतौर पर तीन तरह की होती हैं। टीबी की गांठ, फैटी लंप और कैंसर की गांठ होती हैं। सबसे आम कारणों में से एक है स्किन के नीचे फैट सेल्स का जमा होना, जिससे मुलायम, दर्द रहित और धीरे-धीरे बढ़ने वाली फैटी गांठ (lipoma) बनती है। ये आमतौर पर हानिरहित होती हैं। कई बार स्किन के नीचे पानी, पस या ऑयली पदार्थ जमा होने से सिस्ट बनता है। यह गोल, दबाने पर हिलने वाली और कभी-कभी लाल होकर दर्द देने वाला हो सकती है।
किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के दौरान लिम्फ नोड्स का सूजना भी एक आम कारण है। बुखार, गले में दर्द, त्वचा संक्रमण या शरीर में सूजन होने पर ये गांठें अधिकतर गर्दन, बगल या जांघ के पास महसूस होती हैं। महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन जैसे पीरियड्स, PCOS, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज़ की वजह से भी स्तन या गर्दन में गांठ बनने की समस्या देखी जाती है। कुछ गांठें ट्यूमर या कैंसर की शुरुआती चेतावनी भी हो सकती हैं, खासकर जब गांठ कठोर, अनियमित आकार की हो, बढ़ती जाए या लंबे समय तक न घटे। ऐसी स्थिति में तुरंत जांच करवाना जरूरी है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट और योग गुरु बाबा रामदेव ने बताया किसी भी तरह की गांठ का इलाज आप आयुर्वेदिक नुस्खों और आयुर्वेदिक दवाओं से कर सकते हैं। कुछ आयुर्वेदिक नुस्खें और दवाएं गांठ का इलाज करने में बेहद असरदार साबित होते हैं। आयुर्वेदिक गोलियां जैसे कांचना और गुग्गुल की दो-दो गोली, विद्धे वाटिकी वधी, कांचनार गुग्गुल दो-दो गोली का सेवन करें तो आसानी से इन गांठों को घुला सकते हैं। कुछ घरेलू नुस्खे भी गांठों का इलाज करते हैं।
गांठों में गौ मूत्र अर्क का करें सेवन
सुबह खाली पेट 10–15 ml गोमूत्र अर्क में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर उसका सेवन करें। सुबह खाली पेट इस अर्क का सेवन करें। अगर पाचन कमजोर है, तो रात को खाने से 2 घंटे बाद 10 ml लिया जा सकता है। ये अर्क गांठ हटाकर सूजन कम करता है। इसका सेवन करने से लिम्फ नोड्स की सफाई होती है। फैटी लंप में चर्बी घटाने में गै मूत्र बेहद उपयोगी है। इसका सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और सिस्ट की सूजन कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।
कपालभाति प्राणायाम करें
कपालभाति प्राणायाम शरीर में रक्त प्रवाह और लिम्फेटिक सर्कुलेशन को तेज करता है, जिससे स्किन के नीचे जमी चर्बी, टॉक्सिन और सूजन को कम करने में मदद मिलती है। तेज और नियमित श्वास-प्रश्वास से शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया तेज होती है और हार्मोनल संतुलन सुधरता है, जिससे फैटी लंप या सिस्ट जैसी गांठों की सूजन धीरे-धीरे कम हो सकती है। यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है, जिससे संक्रमण से बनने वाली गांठों में सुधार देखा जाता है।
हल्दी खाली पेट खाएं गांठ दूर होंगी
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट तत्व है, जो शरीर में सूजन, संक्रमण और फैट डिपॉजिट को कम करने में मदद करता है। इससे फैटी लंप, सिस्ट, इंफेक्शन से बनी लिम्फ नोड्स की सूजन में सुधार हो सकता है। रोज सुबह 2 ग्राम हल्दी का सेवन करें आपको फायदा होगा।
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