अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से होती है। बॉडी में जब यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो यह क्रिस्टल्स के रूप में हड्डियों के बीच इक्ट्ठा होने लगती है। इसके कारण जोड़ों में सूजन और दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। अगर यह बीमारी लंबे समय तक बनी रहे तो लोगों का चलना-फिरना और उठना-बैठना भी दूभर हो जाता है।

अक्सर लोग अर्थराइटिस और गठिया की बीमारी को एक मान लेते हैं। लेकिन दोनों में अंतर होता है। सामान्य जोड़ों के दर्द को अर्थराइटिस कहते हैं। जबकि गठिया की शुरुआत पैर के अंगूठे में दर्द और सूजन से होती है। इस बीमारी में छोटी संधियां प्रभावित होती हैं। अक्सर खराब जीवनशैली और खानपान के कारण अर्थराइटिस की बीमारी होती है।

दो तरह का होता है अर्थराइटिस: अर्थराइटिस की बीमारी 2 तरह की होती है। पहली ओस्टो अर्थराइटिस और दूसरा रूमेटाइड अर्थराइटिस। बता दें, शरीर में कार्टिलेज घिसने के कारण अर्थराइटिस की बीमारी होती है। हालांकि, स्वामी रामदेव के अनुसार जीवनशैली में बदलाव और योगासन के जरिए अर्थराइटिस की इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

रूटीन में शामिल करें ये आसन:

-उष्टासन: उष्ट्रासन मोटापा दूर करने के साथ ही वजन घटाने, कंधे और पीठ के दर्द से छुटकारा दिलाने में भी कारगर है। यह आसन शरीर का पोश्चर ठीक कर कंधों को मजबूत करता है।

-मकरासन: साइटिका और सर्वाइकल के दर्द से छुटकारा दिलाने में मकरासन कारगर है। साथ ही यह अर्थराइटिस की समस्या से भी निजात दिलाता है। ऐसे में नियमित तौर पर मकरासन करना चाहिए।

-धनुरासन: धनुरासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के साथ ही गैस, कब्ज और मोटापे से छुटकारा दिलाने में भी कारगर है।

-मर्कटासन: मर्कटासन पेट संबंधी समस्याओं से निजात दिलाकर लिवर और फेफड़े आदि को मजबूत करता है। यह अर्थराइटिस को ठीक करने में कारगर है।

-उत्तानपादासन: यह आसन तनाव और डिप्रेशन की समस्या से दूर रखता है। अर्थराइटिस से जूझ रहे लोगों को जोड़ों में दर्द और सूजन से छुटकारा दिलाने में भी कारगर है। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के साथ ही पाचन को भी दुरुस्त करता है। ऐसे में आपको नियमित तौर पर उत्तानपादासन करना चाहिए।