कोविड-19 के आने के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं समेत विभिन्न उद्योगों में तमाम तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। हर किसी की जरूरतों का ध्यान रखते हुए हेल्थ सेक्टर से कई बड़े बदलाव किए। ऐसे में सबसे ज्यादा कारगर टेक्नोलॉजी से जुड़े इनोवेशन का सहारा लिया और नए जमाने की टेक्नोलॉजी की संभावनाओं के बारे में जाना। इससे सिर्फ मरीज को ही नहीं बल्कि डॉक्टर्स के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। रोजाना की प्रक्रियाओं में सुधार हुआ है। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) भी अछूता नहीं रहा है।  एआई का इस्तेमाल करके कॉग्निटिव टेक्नोलॉजी के माध्यम से न सिर्फ कम समय में डेटा-आधारित निर्णय लेने की सुविधा मिली है, बल्कि डायग्नोस्टिक टूल्स की मदद से बीमारी का सटीक तरीके से पता भी लगाया जा सकता है। क्या वास्तव में स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई कारगर है या फिर किसी शाप की तरह है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट तत्वन ई क्लिनिक्स के संस्थापक एवं सीईओ आयुष अतुल मिश्रा से।

एक तरफ टेली मेडिसिन के द्वारा  चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता के साथ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच का विस्तार हुआ है। इसके साथ ही दूसरी तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में टेलीमेडिसिन की क्षमताओं को बेहतर बनाने और उनका विस्तार करने की संभावनाएं मौजूद हैं, जिससे अलग-अलग तरह की जरूरतों के लिए अलग-अलग समाधान विकसित करने का मौका मिला है। इन दोनों ही चीज़ों से डॉक्टरों को अपने मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद मिल सकती है। परिणामस्वरूप टेलीमेडिसिन में एआई के आने से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए व्यापक संभावनाएं छिपी हैं। इससे डायग्नोस्टिक और थेरेप्यूटिक्स निर्णय लेने की प्रक्रिया आसान हुई है और बीमारियों की जांच करने और उनका पता लगाने का प्रक्रिया में सुधार हुआ है। खास तौर पर अलग-अलग लोगों की जरूरतों के हिसाब से उपलब्ध कराने और व्यक्तिगत तौर पर मरीजों को देखने की जरूरत कम हुई है।

AI द्वारा लगा सकते हैं बीमारी का सही पता

बेहतर डायग्नोस्टिक टूल्स

टेलीमेडिसिन में एआई के सबसे महत्वपूर्ण योगदान में से एक है। इसके द्वारा बीमारी के बारे में सटीक जानकारी पा सकते हैं। एआई टेक्नोलॉजी लक्षणों का विश्लेषण करके उस बीमारी के बारे में पता करती हैं। इसके साथ ही बिल्कुल सटीक तरीके से अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से उपचार का सुझाव देकर मरीज को सही करने में मदद करती है। इसमें एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए, खास तरह के डीप लर्निंग एल्गोरिद्म से रेडियोलॉजिकल इमेज में मौजूद गड़बड़ियों की पहचान करने की प्रक्रिया में तेजी आई है, जिससे फिजिशियन को ट्यूमर, फ्रैक्चर्स या संक्रमण जैसी स्थितियों की आसानी से पहचान करने में मदद मिलती है और मानवीय गलती की संभावना के बिना उपचार की प्रक्रिया में तेजी आती है।

उपचार के निर्णय लेने की सुविधा

इस तथ्य को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि एआई का प्रभाव बीमारी का पता लगाने की प्रक्रिया से कहीं अधिक बढ़कर है। उपचार के निर्णयों की सुविधा देने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एआई एल्गोरिद्म, बड़े पैमाने पर मरीजों के डेटा का विश्लेषण करता है। इससे चिकित्सा पेशेवरों को गंभीर बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलती है और वे मरीजों की सेहत के बारे में समय से और सटीक निर्णय ले पाते हैं। इसके साथ ही डायग्नोसिस में चिकित्सकीय गलतियों का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, एआई पहने जाने वाले डिवाइस यानी वियरेबल और सेंसर से लगातार डेटा जुटाकर दूर दराज से ही मरीजों की निगरानी कर सकता है। रियल-टाइम डेटा स्ट्रीम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को उपचार की रणनीति में फटाफट बदलाव करने का मौका मिलता है और इससे डायबिटीज या उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों का उचित उपचार सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। दूर दराज से ही मरीज़ों की निगरानी करने से स्वास्थ्य सेवा संस्थानों का बोझ कम हो जाता है और स्वास्थ्य सेवाओं तक मरीज़ों की पहुंच आसान हो जाती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल वरदान या शाप!

आज स्वास्थ्य सेवा में एआई का इस्तेमाल अब शुरुआती चरण में नहीं रह गया है और यह तेज़ वृद्धि की ओर बढ़ रहा है। मार्केट्स एंड मार्केट्स द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य सेवा में एआई का बाजार 2023 में 14.6 अरब डॉलर से बढ़कर 2028 तक 102.7 डॉलर का हो जाने की उम्मीद है। टेलीमेडिसिन में एआई के भविष्य के लिए अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि स्वास्थ्य सेवा उद्योग को सटीक ढंग से बीमारी का पता लगाने, तेजी से दवाएं विकसित करने और मरीजों को बेहतर परिणाम उपलब्ध कराने की ज़रूरत है। एआई और टेलीमेडिसिन का एक साथ आना ऐसा परिवर्तनकारी बल है जिसने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की तस्वीर बदलकर रख दी है और इससे बेहतर पहुंच, सटीक ढंग से बीमारी का पता लगाने की सुविधा और व्यक्तिगत देखभाल के साथ सेहतमंद और कहीं अधिक जुड़ाव रखने वाली दुनिया का रास्ता खुल रहा है। टेलीमेडिसिन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को जोड़ने से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को मरीज़ों की व्यापक और प्रभावी ढंग से देखभाल करने में मदद मिली है, भले ही वे किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में हों।