डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है जिसमें शरीर इंसुलिन नामक हार्मोन का सही उपयोग नहीं कर पाता या पैंक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन बनाता ही नहीं। इंसुलिन की कमी से शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जिसे हाइपरग्लाइसेमिया कहते हैं। डायबिटीज दो प्रकार की होती है एक टाइप 1 डायबिटीज जो एक ऑटोइम्यून स्थिति होती है जिसमें शरीर खुद की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। टाइप 2 डायबिटीज यह अधिकतर लोगों में पाई जाती है जिसके लिए खराब डाइट,खराब जीवनशैली, मोटापा, तनाव और अनियमित खानपान जिम्मेदार होता है। टाइप-2 डायबिटीज अनुवांशिक, जीवनशैली, मोटापा, और शारीरिक निष्क्रियता से फैलती है। फास्ट फूड, मीठे पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड्स का अधिक सेवन इस बीमारी का रिस्क बढ़ाता है।
भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या में तेजी से इज़ाफा हो रहा है। भारत को डायबिटीज कैपिटल कहा जाता है जहां लगभग 10 करोड़ से अधिक लोग शुगर से पीड़ित हैं। डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए नियमित जांच, संतुलित खानपान, एक्सरसाइज और डॉक्टर की सलाह जरूरी है। डायबिटीज मरीजों के लिए सबसे पहला काम अपनी थाली में बदलाव करना है। जिन लोगों का ब्लड शुगर हाई रहता है वो डाइट में कार्बोहाइड्रेट का सेवन कंट्रोल करें, प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं और हेल्दी फैट भी खाएं।
डायबिटीज मरीज कार्ब्स को कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले अपनी रोटी में बदलाव करें जिसका सेवन दिन में दो से तीन बार करते है। डायबिटीज कोच एवं न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. संजीव अग्रवाल ने बताया डायबिटीज मरीज अगर खाने में दो से तीन रोटी खाते हैं तो वो भर-भर कर कार्बोहाइड्रेट खा रहे हैं जिनसे तेजी से ब्लड में शुगर का स्तर स्पाइक करता है। एक्सपर्ट ने बताया अगर डायबिटिक पेशेंट चार रोटी खाता हैं तो वो 16 चम्मच के बराबर चीनी खाता है जो उसके लिए जहर है। डायबिटीज के मरीजों को रोटी और अन्य कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन सीमित मात्रा में और सही तरीके से करना चाहिए।
एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर और प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ बिमल झाजर ने बताया डायबिटीज मरीज ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए रागी की रोटी खाएं। डायबिटीज फ्रेंडली ये रोटी बॉडी को ताकत देती है, पाचन दुरुस्त रखती है और डायबिटीज को कंट्रोल करती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि रागी की रोटी कैसे डायबिटीज को कंट्रोल करती है।
रागी की रोटी कैसे डायबिटीज करती है कंट्रोल?
रागी साउथ इंडियन लोगों का फेवरेट खाना है जिसका सेवन वो रोटी बनाकर और रागी बॉल के रूप में करते हैं। गेहूं के आटे से इसकी तुलना करें तो ये गेहूं की तुलना में बेहद फायदेमंद है। डॉक्टर डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए रागी की रोटी खाने की सलाह देते हैं। राई की तरह दिखने वाले लाल सुर्ख छोटे-छोटे रागी के दाने फाइबर से भरपूर होते हैं। इसमें प्रोटीन,आयरन, कैल्शियम और फाइबर भरपूर होता है जो इसे डायबिटीज फ्रेंडली बनाता है।
रागी के दानों को पीसकर इसका आटा बनाया जाता है। इस आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बेहद कम होता है, मतलब ये अनाज धीरे-धीरे पचता है और ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ने नहीं देता। इस अनाज की रोटी खाने से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है।
रागी में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन को धीमा करता है और शुगर के अवशोषण को कंट्रोल करता है। इसका सेवन करने से ब्लड में शुगर का स्तर नॉर्मल रहता है। ये अनाज इंसुलिन की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है जिससे शुगर को नॉर्मल करना आसान होता है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर रागी बॉडी को एनर्जी देती है और डायबिटीज मरीजों को सेहतमंद करती है। डायबिटीज मरीज रागी के आटे की रोटी खाएं बॉडी हेल्दी रहेगी,वजन कंट्रोल रहेगा और शुगर नॉर्मल रहेगा।
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