गर्मी पूरे उफान पर है। इस मौसम में बॉडी को कूल रखने के लिए AC रूम,  ठंडे ड्रिंक का सेवन ही सुकून देता हैं। इस मौसम में प्यास ज्यादा लगती है और लोग भर-भर कर बर्फ का ठंडा पानी पीते हैं। आप जानते हैं कि बर्फ का ठंडा-ठंडा पानी गर्मी से तो राहत देता है और प्यास भी बुझाता है लेकिन बॉडी को कई तरह से नुकसान भी देता है। बर्फ का पानी इम्युनिटी को कमजोर करता है। इस मौसम में डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक, चक्कर आना, उल्टी और दस्त की समस्या बेहद परेशान करती है। इन सब परेशानियों से बचने के लिए डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि आप पानी का अधिक सेवन करें। आप जानते हैं कि फ्रिज के ठंडे पानी की जगह देसी तरीके से नॉर्मल तापमान पर ठंडा किया गया मटके का पानी सेहत पर बेहद असरदार साबित होता है।

इंस्टाग्राम पर पोषण विशेषज्ञ रश्मी मिश्रा ने पोस्ट शेयर करके बताया है कि गर्मी में बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए मटके के पानी का सेवन करें। मिट्टी के मटके से पानी पीने का चलन सदियों पुराना है। आज भी कई घरों में पीने के पानी को ठंडा रखने के लिए मटके का इस्तेमाल किया जाता है। इस पानी का स्वाद पीने में अच्छा लगता है। इससे मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू आती है। ये तुरंत प्यास बुझाता है।

जिंदल नेचर क्योर इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ नेचुरोपैथी डॉ. श्रीकांत HS ने बताया कि मटके का पानी नेचुरल तरीके से फ़िल्टर होता है। इस तरह पानी को ठंडा करके पीने से ये एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भर जाता है और प्यास को बुझाता हैं। मध्यम तापमान पर मटके में पानी को ठंडा करके पीने से पाचन दुरुस्त रहता है। अत्यधिक ठंडा पानी रक्त वाहिकाओं को टाइट कर देता है और पाचन से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा देता है। मटका पानी हल्का ठंडा होने के कारण पाचन तंत्र पर कोमल प्रभाव डालता है और पाचन को दुरुस्त करता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि मटके के पानी का सेवन करने से सेहत पर क्या असर पड़ता है।

ब्लड प्रेशर रहता है कंट्रोल

मटके के पानी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। जिन लोगों का बीपी हाई रहता है वो रोजाना बर्फ के ठंडे पानी का सेवन करने के बजाए मटके के पानी का सेवन करें।

दिल की सेहत रहती है दुरुस्त

मटके के पानी का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है। ये पानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है जो दिल के रोगों का कारण है। मटके के पानी का सेवन करके आप हार्ट अटैक के खतरे से भी बचाव कर सकते हैं।

नेचुरल कूलेंट की तरह करता है केम

मदरहुड हॉस्पिटल्स, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, बैंगलोर की सलाहकार डायटीशियन डीटी रीनू दुबे ने बताया कि मिट्टी के बर्तनों में छिद्रपूर्ण प्रकृति (porous nature) होते है जो पानी को सतह से वाष्पित होने देते है, जिससे अंदर का पानी नेचुरल तरीके से ठंडा हो जाता है। ये ठंडा पानी प्यास को बुझाता है और डिहाइड्रेशन को कंट्रोल करता है।

पाचन रहता है दुरुस्त

मटके का पानी मध्यम तापमान पर ठंडा होता है जो पाचन को दुरुस्त करने में मदद करता है। फ्रिज का ज्यादा ठंडा पानी ब्लड वैसल्स को टाइट कर देता है और पाचन को प्रभावित करता है। आप रोजाना मटके के पानी का सेवन करें पाचन दुरुस्त रहेगा। इस पानी का सेवन करने से कब्ज का भी इलाज होगा।

मेटाबॉलिज्म होता है बूस्ट

कमरे के तापमान पर ठंडा पानी पीने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। रेफ्रिजरेटर का ठंडा पानी मेटाबॉलिज्म को स्लो कर देता है, जबकि मटका का पानी मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है जिससे पोषक तत्व बेहतर तरीके से अवशोषण होते हैं। इस पानी का सेवन करने से एनर्जी के स्तर में सुधार होता है।