डायबिटीज एक ऐसी क्रॉनिक समस्या है जिसे पूरी तरह से ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन सही देखभाल और लाइफस्टाइल में बदलाव के जरिए इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है तो दिल, किडनी और मस्तिष्क से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है। ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने के लिए जरूरी है कि नियमित दवा का सेवन किया जाए, शरीर को सक्रिय रखा जाए और मानसिक तनाव से बचा जाए। इसके साथ ही खान-पान पर विशेष ध्यान देना बेहद आवश्यक है। डायबिटीज के रोगियों को कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सीमित करनी चाहिए और इसके स्थान पर प्रोटीन और हेल्दी फैट्स का सेवन बढ़ाना चाहिए। साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स और दालें डाइट में शामिल करें।
इसके अतिरिक्त, कुछ पारंपरिक आयुर्वेदिक उपाय भी डायबिटीज के प्रबंधन में सहायक हो सकते हैं। जैसे कि मेथी के बीज, करेला, जामुन के बीज और गुड़मार जैसी औषधियां ब्लड शुगर को संतुलित करने में मददगार मानी जाती हैं। ये प्राकृतिक नुस्खे न केवल ग्लूकोज़ लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाते हैं। ध्यान रखें, डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए संयम और अनुशासन बहुत जरूरी है। समय पर भोजन, नींद और व्यायाम की आदत आपके स्वास्थ्य को लंबे समय तक बेहतर बनाए रख सकती है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, ब्लड शुगर लेवल को संतुलन में बनाए रखने के लिए करी पत्ते का सेवन बेहद लाभकारी हो सकता है। आमतौर पर हम करी पत्तों का इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए करते हैं, खासकर दाल, सब्ज़ी या सांभर में। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये पत्ते स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी किसी औषधि से कम नहीं हैं। करी पत्ते लंबे समय से आयुर्वेद में उपयोग किया जा रहा हैं।
इन्हें सुखाकर पाउडर के रूप में या ताज़े पत्तों का अर्क निकालकर औषधीय प्रयोगों में शामिल किया जाता है। इनमें प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने वाले तत्व मौजूद होते हैं, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
करी पत्ते न केवल इंसुलिन की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं, बल्कि पाचन क्रिया को सुधारते हैं और कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी संतुलित रखने में मदद करते हैं। सुबह खाली पेट कुछ ताज़े करी पत्तों को चबाने या इनके रस का सेवन करने से ब्लड शुगर नियंत्रण में रह सकता है। आइए जानते हैं कि करी पत्ता कैसे ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करता है।
डायबिटीज में कैसे मदद करता है करी पत्ता?
आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकृष्ण के अनुसार डायबिटीज स्थायी समाधान केवल आयुर्वेद में निहित है। आधुनिक दवाएं ब्लड शुगर को अस्थायी रूप से कम कर सकती हैं, लेकिन जड़ से उपचार के लिए जीवनशैली में बदलाव और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सहारा लेना आवश्यक है। इसी कड़ी में करी पत्ता एक अत्यंत प्रभावशाली औषधि के रूप में उभरकर सामने आया है। करी पत्ता जिसे ‘मीठा नीम’ भी कहा जाता है, केवल स्वाद और खुशबू बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह औषधीय गुणों से भरपूर है। आयुर्वेद में इसे ऋषि-मुनियों की अद्भुत खोज माना गया है। इसमें डायबिटीज-नाशक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
एलोपैथ के मुताबिक करी पत्ता कैसे करता है ब्लड शुगर को कंट्रोल?
करी पत्ता में मौजूद घुलनशील फाइबर पाचन की प्रक्रिया को धीमा कर देता है, जिससे कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे ग्लूकोज में परिवर्तित होते हैं और ब्लड शुगर में अचानक उछाल नहीं आता। यह इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाता है, जिससे शरीर प्राकृतिक रूप से शुगर को नियंत्रित करने लगता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-डायबेटिक गुण मौजूद हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं और पैंक्रियाज के कार्य को बेहतर करते हैं। करी पत्ता न केवल शुगर लेवल को नियंत्रित करता है, बल्कि कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड जैसे फैट्स को भी कम करने में मदद करता है। कई एनिमल और ह्यूमन ट्रायल्स में यह पाया गया है कि करी पत्ते का सेवन ब्लड ग्लूकोज लेवल को घटाने में मदद करता है। एलोपैथ के मुताबिक करी पत्ता डायबिटीज का पूरा इलाज नहीं है, लेकिन यह स्पोर्टिव एजेंट के रूप में काम करता है।
सेवन की विधि:
ताज़े करी पत्तों को सुबह खाली पेट 4-5 पत्ते चबाएं।
या फिर करी पत्तों को छाया में सुखाकर उनका पाउडर बना लें। इस पाउडर की 3 से 4 ग्राम मात्रा सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें।
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