सर्दी का मौसम बेहद सुहाना लगता है लेकिन जब ठंड ज्यादा पड़ने लगती है तो ये मौसम किल्लत बन जाता है। ज्यादा सर्दी बॉडी में ऐसी ठिठुरन पैदा करती है कि हमारा बदन कांपने लगता है और बत्तीसी बजने लगती है। इस मौसम में ये कंपकपाने वाली सर्दी हमारी हड्डियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। सर्द मौसम में बॉडी की एक्टिविटी कम होने लगती है और जोड़ों में दर्द और अकड़न होने लगती है।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर सर्दी कैसे जोड़ों को जाम कर देती है। ठंड के संपर्क में आने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं ताकि वो गर्मी बरकरार रख सकें, इसलिए अंगों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जिससे हड्डियों में स्टिफनेस और दर्द होता है। ठंड से श्लेष द्रव की मोटाई भी बढ़ जाती है, जो जोड़ों के लिए एक स्नेहक है और इससे जोड़ों के ऊतक एक-दूसरे के खिलाफ अधिक रगड़ सकते हैं जिससे दर्द हो सकता है।
मैक्स हॉस्पिटल, मोहाली के ऑर्थोपेडिक और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के निदेशक डॉ.अजय भांबरी ने बताया मौसम में बदलाव खासतौर से तापमान में गिरावट के साथ-साथ ह्यूमिडिटी में बढ़ोतरी ज्वाइंट स्पेस में फ्लूड के घनत्व को बढ़ाती है। ठंडा मौसम अंगों और जोड़ों में प्रवाह को कम कर देता है। हेल्दी ज्वाइंट मौसम के इस बदलाव के दौरान भी नॉर्मल तरीके से काम करते हैं लेकिन गठिया से पीड़ित जोड़ में स्टिफनेस आ जाती है। इस मौसम में मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज, कैल्शियम और खनिजों से भरपूर फूड का सेवन करना जरूरी है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि सर्दी में युवाओं में होने वाले जोड़ों के दर्द के कौन-कौन से कारण हैं और उसे हाथ-पैरों और जोड़ों के दर्द का इलाज कैसे किया जा सकता है।
सर्दी में युवाओं में जोड़ों के दर्द का कारण
इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर, दिल्ली में सलाहकार, आर्थोपेडिक, डॉ. अपूर्वा दुआ ने बताया कि युवाओं में कैल्शियम और विटामिन डी जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने की वजह से, शारीरिक गतिविधि में कमी होने से, गतिहीन जीवन शैली की वजह से, चिंता और अवसाद के कारण जोड़ों में स्टिफनेस और दर्द बढ़ता है। अत्यधिक शराब और कैफीन का सेवन कैल्शियम अवशोषण में बाधा डालता है इसलिए सर्दी में इसका सेवन सीमित करना चाहिए। इन सभी कारणों की वजह से हाथ-पैरों और कमर में ज्वाइंट में स्टिफनेस बढ़ने लगती है।
जोड़ों का दर्द दूर करने में डाइट का महत्व
- फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में क्लिनिकल न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स,एचओडी,डॉ. सोनिया गांधी ने बताया अच्छी डाइट की मदद से आप ज्वाइंट पेन को कम कर सकते है। डाइट में कुछ खास पोषक तत्वों को शामिल करके आप ज्वाइंट पेन को और स्टिफनेस को कंट्रोल कर सकते हैं। डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली का सेवन करें। मछली में सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन और मछली के तेल का सेवन करने से बॉडी को भरपूर ओमेगा-3 फैटी एसिड मिलेगा जो जोड़ों को मजबूत बनाएगा। ओमेगा-3 फैटी एसिड जोड़ों को मजबूत, सूजन-रोधी और चिकना प्रभाव देता हैं।
- प्रोटीन रिच फूड्स जैसे लीन मीट, पोल्ट्री, अंडे और मछली का सेवन करें। ये फूड ऊतक की मरम्मत और कोलेजन निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो एसिड देते हैं। ये फूड जोड़ों को स्थिर और सुरक्षित रखते हैं।
- कोलेजन जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए शोरबा और जिलेटिन का सेवन करें। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि कोलेजन सप्लीमेंट का सेवन करने से जोड़ों के दर्द और गतिशीलता में सुधार हो सकता है।
- एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर फल और सब्जियों का सेवन करें। ये फल और सब्जियां विटामिन सी और विटामिन ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं जो सूजन को कम कर सकते हैं। जामुन, खट्टे फल, पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली और केल जैसी क्रूस वाली सब्जियां खासतौर से फायदेमंद हैं।
- कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों के घनत्व और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। डेयरी उत्पाद, हरी पत्तेदार सब्जियां बॉडी में कैल्शियम की कमी को पूरा करते हैं। जबकि विटामिन डी सूर्य के प्रकाश से मिलता है। अदरक और हल्दी, जिनमें जिंजरोल और करक्यूमिन होते हैं ये सूजनरोधी यौगिक हैं जो हड्डियों के दर्द और सूजन को कंट्रोल करते हैं।
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