आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खराब खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल का सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। आजकल के समय में कब्ज और पाचन से जुड़ी समस्याएं बहुत ही आम हैं। बच्चों से लेकर युवाओं तक हर कोई एनर्जी ड्रिंक, सोडा या शेक का आदी होता जा रहा है। हालांकि, अस्थायी ताजगी देने वाले इन ड्रिंक्स का प्रभाव कम ही देखने को मिलता है।

अक्सर खानपान के बाद कई लोग पेट फूलना, अपच, लगातार परेशान करने वाली कब्ज या थकान को अलग-अलग चीजें समझते हैं, लेकिन इसका मुख्य कारण पेट में जा रहे तरल पदार्थ होते हैं। स्टैनफोर्ड के जाने-माने गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी के मुताबिक, हमारी रसोई और किराना स्टोर ही दवाओं की असली खान है। अगर सही पेय पदार्थों को शामिल किया जाए, तो न केवल पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है, बल्कि आंतों का स्वास्थ्य, लिवर की स्थिति और शरीर का प्राकृतिक संतुलन भी बना रहता है। चलिए आपको बताते हैं पाचन और कब्ज से राहत पाने के लिए क्या करना चाहिए।

पाचन के लिए अदरक की चाय

सर्दी हो या गर्मी अदरक की चाय पेट के लिए हमेशा फायदेमंद होती है। अगर, खाने के बाद पेट भारी हो रहा है या गैस और जी मिचलाने जैसा महसूस हो रहा है, तो अदरक की चाय के कुछ घूंट कमाल का असर दिखा सकते हैं। अदरक पेट में पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। डॉ. सौरभ सेठी के अनुसार, ऐसे प्राकृतिक उपाय दवाओं पर निर्भरता कम कर सकते हैं। अदरक में मौजूद एंटीबायोटिक गुण पेट के संक्रमण से बचाते हैं। नींबू और शहद के साथ मिलाकर पीने पर यह चाय स्वादिष्ट भी लगती है और शरीर को गर्माहट भी देती है।

सूजन कम करने के लिए पुदीने की चाय

कभी-कभी थोड़ा सा खाने के बाद भी आपको पेट फूला हुआ महसूस हो सकता है। इसका एक कारण यह है कि आपकी आंतों की मांसपेशियां ठीक से सिकुड़ और शिथिल नहीं हो रही हैं। पुदीने में मौजूद प्राकृतिक तेल इन मांसपेशियों को आराम देते हैं। जानवरों पर किए गए अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पुदीने की चाय गैस, पेट फूलने और पेट दर्द को कम करने में मदद करती है। इसमें कैफीन नहीं होता, इसलिए इसे दिन में किसी भी समय सुरक्षित रूप से पिया जा सकता है।

दस्त के लिए नारियल पानी

नारियल पानी पूरी हेल्थ के लिए लाभकारी होता है। दस्त के दौरान शरीर में पानी और खनिज कम हो जाते हैं। ऐसे समय में नारियल पानी में मौजूद पोटैशियम, सोडियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम शरीर के संतुलन को बहाल करते हैं। डॉ. सौरभ सेठी के मुताबिक, नारियल पानी न सिर्फ प्यास बुझाता है, बल्कि हल्के डिहाइड्रेशन में भी महंगे स्पोर्ट्स ड्रिंक्स जितना ही असरदार है।

कब्ज के लिए आलूबुखारे का जूस

उम्र बढ़ने के साथ कब्ज की समस्या आम हो जाती है, लेकिन आजकल तो बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में आलूबुखारे का जूस एक प्राकृतिक उपचार है। आलूबुखारे में मौजूद सोर्बिटोल और हाई फाइबर मल त्याग या मल त्याग को सुचारू बनाने में मदद करते हैं। शोध से पता चला है कि आलूबुखारे के जूस के नियमित सेवन से पुरानी कब्ज से भी राहत मिल सकती है।

आंतों के लिए छाछ और केफिर

भारतीय घरों में छाछ का पुराना इतिहास रहा है। भोजन के बाद पिया गया छाछ न केवल शरीर को तरोताजा करता है, बल्कि आंत में बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करता है। केफिर, एक पश्चिमी पेय में लैक्टोबैसिलस केफिरी जैसे प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे हानिकारक बैक्टीरिया से बचाते हैं। डॉ. सेठी के अनुसार, छाछ और केफिर दोनों ही आंत में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर पाचन में सुधार करते हैं।

वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।