राजस्थान में एक महिला ने चार बच्चों को जन्म दिया है। 21 साल की उम्र की महिला ने नॉर्मल डिलीवरी से बच्चों को जन्म दिया है। राजस्थान के दौसा की रहने वाली संतोष प्रजापति ने दो लड़के और 2 लड़कियों को जन्म दिया है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल की सुप्रीटेंडेंट आशा वर्मा ने बताया कि महिला को 4 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार सुबह लगभग 8 बजे महिला ने चार बच्चों को जन्म दिया।
डॉक्टर ने बताया कि चारों बच्चों में प्रत्येक का वजन 700 ग्राम से 1 किलोग्राम के बीच है। बच्चों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है इसलिए उन्हें आईसीयू में रखा गया है। अब सवाल ये उठता है कि क्या एक साथ चार बच्चों को जन्म देना महिला और बच्चों के लिए जोखिम भरा हो सकता है? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि जच्चा और बच्चा को इस कंडीशन में कौन-कौन से हेल्थ रिस्क हो सकते हैं।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी के रिस्क
बोन एंड बर्थ क्लिनिक बेंगलुरु में सीनियर कंसल्टेंट स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. गाना श्रीनिवास ने बताया कि चार बच्चों को जन्म देना या एक से अधिक प्रेग्नेंसी मां के शरीर पर एक खास दबाव डाल सकती है। सबसे बड़ी चिंता प्रीमैच्योर बर्थ की है। महिलाओं का गर्भाशय चार बढ़ते शिशुओं को 9 महीनों तक समायोजित करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। मल्टीपल प्रेग्नेंसी से बच्चों को श्वसन संबंधी परेशानियां, अविकसित अंग और जन्म के समय कम वजन जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।
एक्सपर्ट के मुताबिक प्रीक्लेम्पसिया एक खतरनाक स्थिति है जो महिला को हाई ब्लड प्रेशर और अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। मल्टीपल प्रेग्नेंसी में ये आम परेशानी है। प्रीक्लेम्पसिया यानी प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर का हाई होना एक ऐसी परेशानी है जो प्रेग्नेंसी के दौरान होती है। इस परेशानी का अगर तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो मां और बच्चे दोनों को नुकसान पहुंच सकता है।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी में मां को जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की जटिलताएं बढ़ने लगती है। प्रेग्नेंसी में बॉडी में आयरन और अन्य पोषक तत्वों की मांग बढ़ जाती है जिसमें मां को थकान और कमजोरी हो सकती है। एक्सपर्ट ने बताया कि मल्टीपल प्रेग्नेंसी में महिला को प्रेग्नेंसी के बाद हैवी ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है।
शिशुओं की हेल्थ पर शॉर्ट टर्म असर
डॉ. श्रीनिवास ने बताया कि बच्चों की सेहत पर शॉर्ट टर्म असर की बात करें तो जन्म के समय कम वजन और समय से पहले जन्म के कारण सांस लेने में कठिनाई, भोजन संबंधी समस्याएं और बच्चों के विकास में देरी होना शामिल है। बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होने के कारण संक्रमण और कई तरह की हेल्थ प्रोब्लम्स का बढ़ना शामिल है।
बच्चों की सेहत पर लॉन्ग टर्म असर
मल्टीपल प्रेग्नेंसी में बच्चे की सेहत पर लम्बा असर भी देखने को मिलता है। बच्चा की सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, विजन और सुन्ने की क्षमता पर भी पड़ता है असर। सेरेब्रल पाल्सी का खतरा बढ़ जाता है। बचपन में बच्चों की निरंतर निगरानी करने की जरूरत हो सकती है।