हाल ही में उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। यहां की इको विलेज 2 सोसायटी में पानी पीने से 200 से ज्यादा लोग बीमार हो गए हैं। बताया जा रहा है कि पीने का पानी दुषित था, जिसके चलते पहले लोगों को उल्टी-दस्त, डायरिया, पेट दर्द आदि परेशानियों का सामना करना पड़ा और फिर तबीयत अधिक खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मामले को लेकर सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने क्लीनिंग स्टाफ पर आरोप लगाया है, जबिक स्टाफ का कहना है कि टंकी का पानी घटना से दो दिन पहले ही साफ किया गया था। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की टीम इसे लेकर जांच में जुटी है।

कैसे रखें सेहत का ख्याल?

गौरतलब है कि ये पहला ऐसा मामला नहीं है। इससे पहले भी पानी के दुषित होने से लोगों के बीमार होने की खबरें सामने आती रही हैं। खासकर मानसून के दौरान पानी की गुणवत्ता में असर देखने को मिलता है। अधिक परेशानी की बात यह है कि इस तरह के पानी की हम खुली आंखों से पहचान नहीं कर पाते हैं। ऐसे में सेहत का ख्याल कैसे रखा जाए? आइए जानते हैं इसे लेकर कुछ खास टिप्स-

टिप नंबर 1- फिल्टर की सफाई

पानी की शु्द्धता को बनाए रखने के लिए केवल वाटर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना ही काफी नहीं है। इसके लिए समय-समय पर पानी के फिल्टरों की सफाई जरूर करें।

टिप नंबर 2- नल और टैप की सफाई

समय-समय पर नल, टैप और पानी की टंकी की सफाई भी करते रखें। इसके अलावा पानी की टंकी को हमेशा ढककर रखें और अधिक दिनों तक उसमें पानी को भरा न रहने दें।

टिप नंबर 3- पानी को उबालकर पिएं

इन सब से अलग खासकर मानसून के दौरान पानी को हमेशा उबालकर पिएं। उबालने से पानी में मौजूद अधिकांश रोगजनक मर जाते हैं। इससे बीमारी का खतरा कम हो सकता है।

कैसे करें खराब पानी की पहचान?

इन तमाम तरीको को अपनाने के बाद भी दुषित पानी की पहचान करना जरूरी है। इसके लिए आप घर पर ही कुछ आसान टेस्ट कर सकते हैं।

स्मेल

पानी को पीने से पहले हमेशा इसे सूंघकर देखें। अगर ऐसा करने पर आपको इसमें हल्की गंध भी आती है, तो इस पानी को पीने से बचें। शुद्ध पानी में किसी तरह की गंध नहीं आती है।

टीडीएस मशीन

आप अपने घर में टीडीएस मशीन लाकर रख सकते हैं। ये मशीन पानी की शुद्धता की जांच करने में बेहद मददगार है, साथ ही बाजार में सस्ते दाम पर भी मिल जाती है। मशीन दिखने में थर्मामिटर की तरह लगती है, इसे पानी में डालकर देखा जाता है, अगर इस दौरान पानी का लेवल 100-250 पार्ट्स प्रति मिलियन होता है, तो इसे पीने योग्य और शुद्ध माना जाता है।

लिटमस पेपर

इन सब से अलग आप लिटमस पेपर की मदद से भी शुद्ध पानी की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए पानी में लिटमस पेपर को डुबाकर देखें। पानी का नेचर न्यूट्रल होता है। ऐसे में लिटमस पेपर पर इसका माप 7 या 7 से 8 के बीच होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो भी इस पानी को पीने से बचें। लिटमस पेपर भी बाजार में बेहद सस्ते दाम पर मिल जाते हैं।

इस तरह कुछ खास बातों को ध्यान में रखकर आप खराब पानी पीने से बच सकते हैं और अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।