मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के बिना ही नगर निकाय चुनाव (local body elections) कराने का आदेश दिया था क्योंकि कोटा के लिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ (Triple Test) की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी। फिर बुधवार को राज्य की योगी सरकार ने सर्वेक्षण के लिए एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया।
पांच सदस्यीय आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए एक सर्वेक्षण करेगा कि ओबीसी को ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ही आरक्षण दिया जा रहा है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को अनिवार्य किया है।
उत्तर प्रदेश में पहली बार ट्रिपल टेस्ट कराया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कानून विभाग और शहरी विकास विभाग इस प्रक्रिया के लिए अपनाए जाने वाले दिशा-निर्देशों को तय करेगा।
क्या है ट्रिपल टेस्ट? (What is triple test survey)
स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए ट्रिपल टेस्ट यानी तीन स्तरीय मानक होता है। ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकताओं के अनुसार:
1) पिछड़ेपन की जांच के लिए एक समर्पित आयोग का गठन किया जाता है। 2) आयोग की सिफारिशों के आलोक में निकाय-वार कोटा का प्रावधान किया जाता है। 3) यह सुनिश्चित किया जाता है कि अनुसूचित जाति (SC)/अनुसूचित जनजाति (ST)/अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित सीटें कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक ना हो।
4 मार्च, 2021 को किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ट्रिपल टेस्ट औपचारिकता को अनिवार्य किया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि OBC वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करने से पहले ट्रिपल टेस्ट का पालन किया जाए।
पहले क्या थी प्रक्रिया?
उत्तर प्रदेश सरकार के शहरी विकास विभाग ने 7 अप्रैल 2017 को ओबीसी की आबादी तय करने के लिए सर्वे करने का आदेश जारी किया था। नगर पालिका के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में इस तरह के त्वरित सर्वेक्षण के आधार पर संबंधित निर्वाचन क्षेत्र/वार्ड में पिछड़े वर्ग के नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित की गई थी।
भाजपा सरकार ने बुधवार को कहा कि 1994 के बाद से पिछली सभी सरकारों ने 1995, 2000, 2006, 2012 और 2017 के चुनावों के लिए एक ही रैपिड सर्वे का इस्तेमाल किया था। स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के आरक्षण की व्यवस्था यूपी नगरपालिका अधिनियम-1916 के तहत 1994 में की गई थी।