तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव ने अपने देश के उत्तर में स्थित गेट्स ऑफ़ हेल यानी नर्क का दरवाजा बंद करने का फैसला किया है। राष्ट्रपति ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि गेट्स ऑफ़ हेल में मीथेन गैस के रिसाव की वजह से लगे आग को बुझाए जाने के प्रयास को तत्काल शुरू किया जाए।
राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव ने अपने देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए एक टेलीविजन संदेश में कहा कि हम अपने महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन खोते जा रहे हैं। हम इसका उपयोग किसी सकारात्मक काम में कर सकते थे। जिससे हमारे देश के लोगों को मदद मिलती। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को गड्ढे में लगी आग को बुझाने के उपाय खोजने के आदेश भी दिए हैं।
बता दें कि तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में एक बड़ा-सा गड्ढा है जिसे गेट्स ऑफ़ हेल कहा जाता है। यह तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबत शहर से करीब 160 मील दूर है। यह गड्ढा करीब 69 मीटर चौड़ा और 30 मीटर गहरा है। इस गड्ढे में बीते कई सालों से आग लगी हुई है। वैज्ञानिकों की मानें तो मीथेन गैस की वजह से इस गड्ढे में आग लगी हुई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कई लोग मानते हैं कि सोवियत संघ के समय काराकुम के रेगिस्तानी इलाकों में तेल के भंडार खोजे जा रहे थे। इसी दौरान यहां की जमीन नीचे धंस गई और गड्ढे बन गए।
इन गड्ढों से मीथेन गैस निकलनी शुरू हो गई। यह गैस आसपास के जनजीवन को नुकसान पहुंचा सकती थी। इसलिए वैज्ञानिकों ने इसमें आग लगा दी ताकि मीथेन के रिसाव को रोका जा सके। वैज्ञानिकों का अंदेशा था कि यह आग कुछ दिनों में समाप्त हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई भू वैज्ञानिक मानते हैं कि 80 के दशक से ही इसमें आग लगी हुई है।
हालांकि पिछले दिनों भी तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने गड्ढे में लगी आग को बुझाने के उपाय खोजने के आदेश दिए गए थे। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राष्ट्रपति ने इसका नाम गेट्स ऑफ़ हेल से बदलकर शाइनिंग ऑफ़ काराकुम रख दिया था। वर्तमान में यह गड्ढा तुर्कमेनिस्तान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। हर साल हजारों सैलानी इस गड्ढे को देखने जाते हैं।