पंजाब की भगवंत मान सरकार ने बुधवार को अपनी पहली आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार का अनुमान है कि नई आबकारी नीति के बाद शराब से मिलने वाले राजस्व में 40 प्रतिशत की वृद्धि होगी। नई आबकारी नीति एक जुलाई से लागू होगी और 31 मार्च 2023 तक अमल में रहेगी। पंजाब में बीयर के अलावा मुख्य रूप से IMFL, IFL और PML शराब की खपत खूब होती है। IMFL यानी भारत में बनी विदेशी शराब (Indian Made Foreign Liquor), IFL यानी आयात की गई विदेशी शराब (Imported Foreign Liquor) और PML यानी पंजाब मीडियम शराब।

बीयर और IMFL की बिक्री पर अब कोटा नहीं रहेगा। अब शराब कंपनियां अनलिमिटेड बीयर और IMFL बेच सकती हैं। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और शराब की कीमतों में कमी आएगी। आइए जानते हैं नई नीति से क्या-क्या बदलने वाला है और पंजाब का लिकर बाजार कैसा है?

पंजाबियों ने वित्त वर्ष 2021-22 में कितना शराब पिया?

बीयर, IMFL और IFL को मिलाकर पंजाब में पिछले साल 27.5 करोड़ बोतल शराब की खपत हुई है। बता दें कि राज्य की कुल आबादी 2.96 करोड़ है।

पंजाब में सबसे ज्यादा पी जाने वाली शराब कौन सी है?

पंजाब के शराबी देशी शराब यानी PML की कसमे खाते हैं। पिछले वित्त वर्ष में PML की 18 करोड़ बोतलों की खपत हुई है। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान 1.5 करोड़ बोतल PML की बिक्री हुई है।

बीयर और IMFL की खपत कितनी है?

पिछले साल राज्य के निवासियों ने 4.75 करोड़ बोतल बीयर और 4.80 करोड़ बोतल IMFL गटक लिया है। शराब कारोबार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पंजाब में शराबियों को बीयर में अल्कोहल का कम होना पसंद नहीं आता। इसलिए बीयर उनका पसंदीदा विकल्प नहीं है। शराब के एक बड़े हिस्से की खपत ग्रामीण क्षेत्रों में होती है लेकिन ग्रामीण IMFL को पसंद नहीं करते क्योंकि वो PML की तुलना में महंगा होता है। बीयर, IMFL और IFL की तुलना में PML सबसे सस्ता मिलता है। लेकिन राजस्व महंगी शराबों पर अधिक आता है। इसलिए खपत अधिक होने के बावजूद PML से राजस्व अधिक नहीं मिलता।

पंजाब इस खपत की तुलना पड़ोसी हरियाणा से कैसे करता है?

सरकार के एक पदाधिकारी का कहना है कि हरियाणा की बीयर, IMFL और IFL की बिक्री में सबसे अधिक योगदान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का है। जबकि पंजाब में शराब की सबसे ज्यादा खपत ग्रामीण इलाकों में होती है।

नई आबकारी नीति में क्या है?

राज्य सरकार नई आबकारी नीति से लाइसेंस शुल्क के जरिए राजस्व अर्जित करेगी। इसमें COW Cess (गाय उपकर) और विशेष लाइसेंस शुल्क भी जोड़ दिया गया है। बीयर, IMFL और IFL पर एक्साइज ड्यूटी एक प्रतिशत रखा गया है। लहन से अवैध डिस्टिलेशन (आसवन) रोकने के लिए विभाग 40 डिग्री पीएमएल शुरू करेगा। यह सफेद रंग का होगा जिसे 180 एमएल फूड ग्रेड प्लास्टिक पाउच में बेचा जाएगा। इस शराब को बेहद कम कीमत पर बेचा जाएगा।