प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अमेरिका की स्टेट विजिट पर हैं। व्हाइट हाउस (White House) में स्टेट डिनर के दौरान उन्होंने अमेरिका की फर्स्ट लेडी यानी राष्ट्रपति जो बिडेन की पत्नी जिल बिडेन को 7.5 कैरेट का हरे रंग का हीरा उपहार के तौर पर दिया। यह खूबसूरत हीरा लैब में विकसित किया गया है यानी लैब ग्रोन डायमंड (LGD) है।
हाल के सालों में लैब में विकसित हीरे यानी लैब ग्रोन डायमंड (LGD) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, और धीरे-धीरे नेचुरल डायमंड को रिप्लेस कर रहे हैं। LGD की कीमत भी नेचुरल हीरों के मुकाबले काफी कम है। साथ ही लैब ग्रोन डायमंड भी सर्टिफिकेट के साथ ही बेचे जाते हैं। आइये जानते हैं क्या हैं Lab Grown Diamonds और आखिर बनते कैसे हैं..
क्या हैं Lab Grown Diamonds
जैसा कि नाम से ही साफ है, लैब ग्रोन डायमंड (Lab Grown Diamond) को कृत्रिम तरीके से लैब में तैयार किया जाता है। प्राकृतिक तरीके से जो हीरा बनता है, उसमें हजारों साल लग जाते हैं। लेकिन लैब में बने हीरे साढ़े तीन से चार हफ्ते में ही तैयार हो जाते हैं। लैब ग्रोन डायमंड यानी लैब में बने हीरे बिल्कुल नेचुरल हीरे जैसे ही दिखते हैं। साथ ही इनकी केमिकल कंपोजिशन यानी प्रकृति भी नेचुरल हीरे जैसी ही होती है। सेम कलर, डिजाइन और कटिंग में आते हैं।
लैब में कैसे तैयार होते हैं हीरे?
नेचुरल तरीके से जो हीरे बनते हैं, उन्हें तैयार होने में हजारों-लाखों साल लग जाते हैं। जमीन के अंदर भारी दबाव और बहुत ज्यादा टेंपरेचर पर हीरे बनते हैं। इसको और आसान भाषा में समझें तो जमीन के अंदर दफन कार्बन जब बहुत ज्यादा गर्मी और तापमान के संपर्क में आता है तो धीरे-धारे हीरे का आकार लेने लगता है। अब बात करते हैं लैब में बने हीरे की। लैब में हीरे मुख्य तौर पर दो तरीके से तैयार किये जाते हैं। पहला है- HPHT यानी हाई प्रेशर, हाई टेंप्रेचर तकनीक और दूसरा है CVD यानी केमिल वैपोर डिपोजिशन या रासायनिक वाष्प जमाव तकनीक।
लैब में जब HPHT या CVD तकनीक से हीरा तैयार किया जाता है, तो दोनों तरीकों में हीरे के बहुत बारीक टुकड़ों या कार्बन सीड की जरूरत पड़ती है। इस सीड को एक माइक्रोवेव चैंब में रखकर डेवलप किया जाता है, फिर इसे 1,500 डिग्री सेल्सियस के तापमान और 730,000 psi के उच्च दबाव के संपर्क में लाया जाता है। इस प्रक्रिया में माइक्रो सीड धीरे-धीरे डायमंड में बदल जाते हैं।
30% है लैब ग्रोन डायमंड का मार्केट
भारत, दुनिया का सबसे बड़ा डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग सेंटर है। दुनिया भर में सप्लाई होने वाले 90 प्रतिशत हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग भारत में ही होती है। दूसरी तरफ, दुनिया के कुल डायमंड एक्सपोर्ट में भारत 19% का योगदान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी भारत के डायमंड मार्केट में लैब ग्रोन डायमंड का शेयर करीब 30 फीसदी के आसपास है।
पर्यावरण और दूसरे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार और इसे बढ़ावा देने का भरसक प्रयास कर रही है। मसलन- 2023 के बजट में कार्बन सीड पर ड्यूटी घटाकर शून्य कर दी गई है। पहले 5 प्रतिशत ड्यूटी देनी होती थी। साथ ही लैब ग्रोन डायमंड पर रिसर्च के लिए IIT को अनुदान देने का ऐलान भी किया है।