Jharkhand Political Crisis: झारखंड (Jharkhand) में जारी सियासी संकट के बीच ऐसी खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) इस्तीफा दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो कुछ भी नया नहीं होगा। क्योंकि झारखंड के 22 सालों के इतिहास में अब तक सिर्फ एक मुख्यमंत्री ने ही अपना कार्यकाल पूरा किया है।

बिहार से अलग होकर साल 2000 में झारखंड अस्तित्व में आया था। तब से लेकर अब तक सिर्फ भाजपा के रघुवर दास (Raghubar Das) मुख्यमंत्री के तौर पर अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं।

पहला पांच साल

झारखंड का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ था। प्रदेश में पहली सरकार भाजपा ने बनाई और बाबू लाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने। पार्टी के अंदरूनी कलह के कारण उनका कार्यकाल 15 नवंबर, 2000 को शुरू होकर 17 मार्च, 2003 को खत्म हो गया। इस तरह झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री सिर्फ दो साल और 123 दिन शासन चला पाए।

भाजपा ने 18 मार्च 2003 को सत्ता की चाभी अर्जुन मुंडा को सौंपी। शेष कार्यकाल मुंडा ने संभाला। 2005 में विधानसभा के चुनाव हुए और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई। इस तरह झारखंड के शुरुआती पांच में दो मुख्यमंत्री रहे।

दूसरा पांच साल

अगले पांच साल में तीन नेताओं ने कुल चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 345 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन भी लगा। 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला। झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोका। 2 मार्च, 2005 को शपथ ली और 10 दिन बाद 12 मार्च 2005 को बहुमत साबित न कर पाने की वजह से कुर्सी चली गई। इस तरह झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री मात्र 10 दिन कुर्सी संभाल पाए।

एक बार फिर भाजपा से अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल 12 मार्च, 2005 को शुरू हुआ और एक साल 191 दिन बाद 19 सितंबर, 2006 को सरकार गिर गई। इसके बाद 19 सितंबर, 2006 को मधु कोड़ा ने झारखंड के पांचवे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि उन्हें कार्यकाल के बीच में ही 27 अगस्त, 2008 को इस्तीफा देना पड़ गया। इस तरह मधु कोड़ा एक साल 343 दिन के मुख्यमंत्री साबित हुए।

27 अगस्त, 2008 को शिबू सोरेन ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन 145 दिन बाद 19 जनवरी, 2009 को उनकी सरकार गिर गई। इसके बाद किसी की सरकार नहीं बनी और 19 जनवरी, 2009 से 30 दिसंबर, 2009 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा रहा।

तीसरा पांच साल

झारखंड के इस पांच साल में सबसे अधिक सियासी उठा-पटक देखने को मिला। इस दौरान तीन नेताओं ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और दो बार 100 से अधिक दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन भी लगा। साल 2009 के आखिर में विधानसभा का चुनाव हुआ। इस बार भी किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला लेकिन शिबू सोरेन ने झारखंड के 7वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली। यह तीसरी बार था जब वह सीएम की कुर्सी पर बैठ रहे थे। पहली बार 10 दिन, दूसरी बार 145 दिन सत्ता संभालने वाले सोरेन की सरकार इस बार 153 दिन बाद गिर गई।

1 जून 2010 से प्रदेश में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 102 दिन बाद 11 सितंबर, 2010 को भाजपा के अर्जुन मुंडा ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि दो साल 129 दिन बाद  18 जनवरी, 2013 को फिर सरकार गिर गई और 176 दिनों तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा। 13 जुलाई 2013 को शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा किया और 28 दिसंबर, 2014 तक मुख्यमंत्री बने रहे।

चौथा पांच साल

2014 के विधानसभा चुनाव में केंद्र की तरह भाजपा को प्रदेश में भी सफलता मिली। रघुवर दास के नेतृत्व में 28 दिसंबर 2014 को सरकार बनी। झारखंड के गठन के डेढ़ दशक बाद प्रदेश को वह मुख्यमंत्री मिला जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया।

मौजूदा कार्यकाल

झारखंड के 10वें मुख्यमंत्री रूप में रघुवर दास के कार्यकाल पूर्ण करने के बाद 2019 के अंत में विधानसभा के चुनाव हुए। भाजपा से बहुमत छिन गया और 29 दिसंबर, 2019 को हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। फिलहाल कार्यकाल जारी है। लेकिन प्रदेश में छाए सियासी संकट के बीच हेमंत सोरेन कब तक पद पर कायम रहेंगे यह कहना मुश्किल है।