बजरंग दल (Bajrang Dal) फिर चर्चा में है। हरियाणा के नूंह (मेवात) में हुई हिंसा के कथित आरोपी बिट्टू बजरंगी उर्फ राजकुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बिट्टू खुद को बजरंग दल का नेता बताता है। लेकिन विश्व हिंदू परिषद ने साफ कहा है कि उसका बजरंग दल से कोई संबंध नहीं है। यह पहला मौका नहीं है, जब बजरंग दल चर्चा में है। इस संगठन की स्थापना की कहानी भी दिलचस्प है।

बजरंग दल और कांग्रेस का कनेक्शन

जुलाई 1984… ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को महीने भर हो गए थे, लेकिन पंजाब में हिंदुओं के खिलाफ गाहे-बगाहे हिंसा की खबरें आ रही थीं। इसी दौरान विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम जन्मभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति की अगुआई गोरखनाथ मठ के प्रमुख महंत अवैद्यनाथ कर रहे थे और महासचिव थे कांग्रेसी नेता दाऊ दयाल खन्ना। सितंबर 1984 में इस समिति ने बिहार के सीतामढ़ी से अयोध्या तक 400 किलोमीटर की यात्रा शुरू की।

यात्रा में आगे एक ट्रक चल रहा था, जिस पर राम और सीता की विशाल प्रतिमाएं थीं। पीछे गाड़ियों में साधु संत और हजारों लोग थे। 6 अक्टूबर 1984 को यात्रा अयोध्या में सरयू नदी पर बने पुल पर खत्म हुई। 7 अक्टूबर को सरयू के तट पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। वरिष्ठ पत्रकार विनय सीतापति अपनी किताब ‘जुगलबंदी: भाजपा मोदी युग से पहले’ में लिखते हैं कि सरयू के किनारे आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 60000 लोग शामिल हुए।

अयोध्या के साथ काशी-मथुरा का जिक्र

मंच पर एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी, जिसमें तलवारों से लैस मुसलमानों को निहत्थे साधुओं के सामने खड़ा दिखाया गया था। उस कार्यक्रम के लगभग हर व्यक्ति ने मांग की कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए मुसलमानों को विवादित जमीन हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए। सीतापति लिखते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अनुरोध किया था कि कार्यक्रम में किसी तरह की अराजकता ना हो। इसके बावजूद एक वक्ता ने घोषणा की कि जो कोई इस भूमि को और अन्य दो पवित्र स्थानों (काशी, मथुरा) को स्वतंत्र कराने में मदद करेगा, अगले चुनाव में हिंदू उसे ही वोट देंगे।

वानर सेना की तर्ज पर बना बजरंग दल

8 अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद ने सीता को छुड़ाने और लंका को नष्ट करने में भगवान राम की सहायता करने वाली वानर सेवा की तर्ज पर बजरंग दल के गठन की घोषणा की। इस दल का उद्देश्य बाबरी मस्जिद से राम को मुक्त कराना था और इसकी कमान विनय कटियार को सौंपी गई। अगले कुछ सालों में बजरंग दल, राम जन्मभूमि आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन गया। 6 दिसंबर 1992 को बजरंग दल की अगुआई में ही कार सेवकों ने अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा दिया। इसके बाद बजरंग दल पर बैन लगा दिया गया।

1993 में दिया गया संगठन का रूप

विश्व हिंदू परिषद की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक बजरंग दल का गठन किसी के विरोध में नही बल्कि हिंदुओं को चुनौती देने वाले असमाजिक तत्वों से रक्षा के लिये हुआ था। उस समय केवल स्थानीय युवाओं को ही दायित्व दिया गया था, जो श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के कार्यों में सक्रिय रह सकें। बाद में देश भर के युवा इस संगठन से जुड़ते गए। 1993 में पहली बार बजरंग दल का अखिल भारतीय संगठनात्मक स्वरूप तय हुआ और सभी प्रांतों में बजरंग दल की इकाई घोषित की गई।

क्या करता है बजरंग दल?

वर्तमान में बजरंग दल, RSS की तर्ज पर देशभर में करीब 2500 अखाड़े चलाता है। जिसमें साप्ताहिक मिलन केंद्र, बलोपसना केंद्र और शौर्य प्रशिक्षण वर्ग आदि शामिल हैं। VHP की वेबसाइट के मुताबिक, बजरंग दल के अखिल भारतीय कार्यक्रमों में अखंड भारत दिवस (14 अगस्त), हुतात्मा दिवस (30 अक्टूबर से 02 नवम्बर) और शौर्य दिवस (6 दिसम्बर) शामिल हैं। धार्मिक मंदिरों की सुरक्षा, गौरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, अस्पृश्यता, सांस्कृतिक प्रदूषण और बांग्लादेशी घुसपैठ बजरंग दल के प्रमुख एजेंडे हैं।