अदालत के आदेश पर नोएडा के सेक्टर-93 ए स्थित ट्विन टावर्स को गिराए जाने के बाद अब पर्यावरण के नुकसान और उससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की चर्चा होने लगी है। ट्विन टावर्स को 10 सेकंड के भीतर धराशायी कर दिया गया लेकिन विशेषज्ञ बता रहे हैं कि स्वास्थ्य पर उसका असर लंबे समय तक रहने वाला है। 80,000 टन से अधिक मलबे की धूल शहर पर हफ्तों तक मंडराएगी।

नोएडा में पर्यावरण संरक्षणवादी विक्रांत तोंगड ने टाइम्स नाउ को बताया है कि ट्रकों पर मलबा लादने और ले जाने के कारण धूल पहले दिन ही नहीं बल्कि हफ्तों तक रहेगी। आइए जानते हैं ट्विन टावर्स का मलबा किस तरह भूजल (ग्राउंड वाटर), वायु और लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा:

जल प्रदूषण: मिंट पर प्रकाशित सौरभ मुखर्जी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले दिनों में ध्वस्तीकरण निश्चित रूप से पानी को प्रभावित करेगा, और जल प्रदूषण का कारण बेगा। भूजल पर पर इसका विशेष रूप से असर पड़ेगा क्योंकि मलबा नीचे आ जाएगा।

वायु प्रदूषण: 9 सेकंड में विध्वंस अविश्वसनीय लगता है, लेकिन त्वरित काम के बावजूद, प्रदूषण का प्रभाव आसपास की हवा की गुणवत्ता पर पड़ेगा। नोएडा की वायु गुणवत्ता को भारत में सबसे खराब में से एक माना जाता है, खासकर सर्दियों के दौरान। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक 26 अगस्त को नोएडा और दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमश: 111 और 113 था, जो मध्यम श्रेणी में आता है। लेकिन इसका बढ़ना तय है।

स्वास्थ्य पर पड़ेगा असर: सीमेंट, महीन रेत, बजरी, मिट्टी की ईंटें, चूना, तांबे के तार, पीवीसी नाली, और विस्फोटक के कण हवा, पानी और जमीन में घुलना शुरू हो चुके हैं। रिपोर्ट की मानें तो यह अवधि में कई स्वास्थ्य खतरों को भी जन्म देंगे। आंखों में जलन, नाक, मुंह और श्वसन तंत्र अस्थायी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिनका लोगों को सामना करना पड़ सकता है।

यदि लंबे समय तक धूल और मलबे को साफ करने की उचित व्यवस्था नहीं की गई तो टीबी, कैंसर, पेट के अल्सर, हृदय रोग आदि जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।