सर्दियों के दौरान पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण का बढ़ना और धुंध का अनुभव अब आम होता जा रहा है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने अपने नवीनतम विश्लेषण में पाया है कि ठंड में  पीएम 2.5 का स्तर बिहार में भी दिल्ली एनसीआर के समान ही रह रहा है।

हालांकि मीडिया में चर्चा व राजनीतिक बहस दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के इर्द-गिर्द ही होती है। आरोप-प्रत्यारोप के दौरान कभी पंजाब-हरियाणा के किसानों को, तो कभी दिल्ली की गाड़ियों और कारखानों को दोषी ठहराया जाता है।

हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं

द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों से प्राप्त आंकड़ों के हवाले से बताया है कि पिछले साल 3 नवंबर तक पराली जलाने की 3,438 घटनाएं दर्ज हुई थीं। वहीं इस वर्ष 3 नवंबर तक 2,377 घटनाएं दर्ज हुई हैं, जो पिछले पिछले साल से 30 प्रतिशत कम है।

पिछले साल करनाल में 15 सितंबर और 3 नवंबर के बीच 763 खेत में आग लगाने की घटना हुई थी। वहीं इस वर्ष इस अवधि में केवल एक तिहाई यानी 264 खेतों में ही आग लगाने की घटना सामने आयी है। कैथल में पिछले साल 865 घटनाओं की तुलना में इस साल 563 घटनाएं दर्ज की गई हैं।

कुरुक्षेत्र में पिछले साल 476 की तुलना में इस साल 289 खेतों में ही आग लगी हैं। यह गिरावट हर साल देखने को मिल रही है। पिछले छह वर्षों में हरियाणा पराली जलाने की घटनाओं में 55 प्रतिशत से अधिक की कमी आयी है।

हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का वर्षवार आंकड़ा:

2021 6987
20204202
20196364
20189225
201713085
201615686
स्रोत-  हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं

पंजाब में खेत में आग लगाने की घटनाएं जारी हैं। मंगलवार (एक नवंबर) को पराली जलाने की 1842 मामले दर्ज किए गए। इनमें से संगरूर में 345, फिरोजपुर में 229, पटियाला में 196, बठिंडा में 160, तरनतारन में 123, बरनाला में 97 और मुक्तसर में 91 मामले दर्ज किए गए हैं।

लुधियाना जिले में पराली जलाने वाले किसानों पर सरकार अब तक 2.47 लाख रुपये का जुर्माना लगा चुकी है। लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, 15 सितंबर से 1 नवंबर तक पराली जालने के 17,846 मामले दर्ज हो चुके हैं।

15 सितंबर से 1 नवंबर तक राज्य में पराली जलाने की घटनाएं:

202217,846
202114,920
202033,175
स्रोत-  पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर

क्या दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार?

इस वर्ष मार्च में आयी 2021 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बताया गया था। दिल्ली पिछले चार वर्षों से इस सूची में शीर्ष पर बना हुआ है। दिल्ली के प्रदूषण को हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के ताजा विश्लेषण में दावा किया गया है कि यह शहर अपने स्थानीय स्रोतों से 32.9 प्रतिशत प्रदूषित होता है।

दिल्ली के प्रदूषण में पड़ोसी राज्यों के जलते पराली का योगदान मात्रा 9.5 प्रतिशत है। सीएसई ने यह निष्कर्ष 21 से 26 अक्टूबर के आंकड़ों के विश्लेषण से निकाला है। सीएसई के विश्लेषण से ही पता चला है कि दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण वाहनों से हो रहा है।