मुंबई और देश के सबसे खूंखार माफिया समूहों में से एक ‘डी-कंपनी’ कभी मशहूर हस्तियों से वसूली करने और गोली मारने के लिए जाना जाता था। गिरोह बनाने वाले सरगना दाऊद इब्राहिम और उसके भरोसेमंद सहयोगी छोटा शकील को सरकार ने भोगोड़ा घोषित कर रखा है। शहर पर गिरोह की पकड़ कमजोर कर दी गई है। अब गिरोह के वर्तमान गुर्गे दाऊद और छोटा शकील के नाम से जुड़े डर को भुनाकर जमीन और संपत्ति हड़पने का काम कर रहे हैं।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

दाऊद की बहन हसीना पार्कर की मौत के बाद मुंबई में डी-कंपनी लगातार सिकुड़ा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और मुंबई पुलिस के अथक प्रयास ने भी डी-कंपनी के प्रभाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई है। हाल में NIA और मुंबई क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार छोटा शकील के बहनोई ने गिरोह के तौर-तरीकों पर प्रकाश डाला है।

2014 में हसीना पार्कर की मौत के बाद सलीम कुरैशी उर्फ फ्रूट और आरिफ शेख उर्फ आरिफ भाईजान ने शहर में डी कंपनी की कमान संभाली थी। मुंबई क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के मुताबिक, कुरैशी और शेख को 5 अगस्त को जबरन वसूली और टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए ने गिरफ्तार किया था। पिछले दो महीनों में मुंबई पुलिस डी-कंपनी के सदस्यों के खिलाफ कम से कम चार प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।

UAPA और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। दो अधिनियमों की जमानत शर्तों के कारण कुरैशी और शेख कम से कम कुछ वर्षों के लिए जेल में रहना ही होगा।

इस मामले में पुलिस अधिकारी का कहना है कि ”पहले लोग कुरैशी और शेख के खिलाफ शिकायत करने से डरते थे। हालांकि, अब उनकी गिरफ्तारी के बाद चार लोग प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आगे आए हैं। शिकायतों की संख्या बढ़ने की संभावना है।” चार शिकायतों में से एक मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और अन्य तीन वर्सोवा, दादार और डोंगरी पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी गई है। इन सभी मामलों की जांच मुंबई पुलिस के एंटी-एक्सटॉर्शन सेल ने अपने हाथ में लिया।

पहला मामला

कुरैशी के खिलाफ पहली प्राथमिकी 10 अगस्त को दादर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता मोहम्मद तांबे के मुताबिक, उसने मस्जिद बंदर में एक इमारत अपने भतीजों के साथ किराए पर ली थी। जून 2021 में ताम्बे और उनके भतीजों के बीच विवाद होने के बाद, इमारत के कुछ किरायेदारों ने उन्हें एक कानूनी नोटिस दिखाया, जिसमें लिखा था कि इमारत का 50% स्वामित्व कुरैशी को बेच दिया गया है और अब उन्हें कुरैशी को किराया देना होगा।

जब तांबे ने दादर स्थित पंजीकरण कार्यालय जाकर पता किया, तब उन्होंने पाया कि नकली किरायेदार सूची, किराए की रसीद, डुप्लीकेट गुमस्ता लाइसेंस आदि जैसे जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर संपत्ति 21 लाख रुपये में बेच दी गई है। तांबे पहले तो कुरैशी के खिलाफ जाने का साहस नहीं जुटा पाएं, लेकिन आखिरकार एक वर्ष बाद उन्होंने शिकायत दर्ज करायी। तांबे की शिकायत पर कुरैशी और तांबे के भतीजों सहित नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

दूसरा मामला

24 सितंबर को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कुरैशी, उसकी पत्नी शाजिया और नौ अन्य के खिलाफ दक्षिण मुंबई में कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पने के आरोप में FIR दर्ज की थी।

शिकायतकर्ता अहमद लम्बाथ दक्षिण अफ्रीका का एक व्यवसायी है। उसका आरोप है कि साल 2016 में उसके रिश्तेदारों ने उसके पिता का जाली हस्ताक्षर कर उसकी इमारत कुरैशी की पत्नी को बेच दी थी। जबकि पिता की मौत 2006 में ही हो चुकी है। घटना 2016 की है लेकिन मामले में शिकायत कुरैशी की गिरफ्तारी के एक महीने बाद दर्ज करायी गई।

तीसरा मामला

26 सितंबर को वर्सोवा पुलिस ने कुरैशी और उसके सहयोगी रियाज भाटी के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप है कि ताश के खेल में एक व्यवसायी कुरैशी से हार गया था, जिसके बाद व्यवसायी को कथित तौर पर धमकी दी गई और 62 लाख रुपये मांग की गई। जब वह पैसे नहीं दे सका, तो कुरैशी ने व्यवसायी से उसकी रेंज रोवर कार मांग ली, जिसकी कीमत 30 लाख रुपये है। मामले में कुरैशी और भाटी समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

चौथा मामला

कुरैशी के खिलाफ सबसे हालिया प्राथमिकी 12 अक्टूबर को डोंगरी पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी गई है। इसमें कुरैशी के साथ-साथ शेख और एक बिल्डर जयेश शाह का नाम भी शामिल है। प्रॉपर्टी डीलर सोहेल अर्बीवाला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, उसने साल 2012 में ठाणे के मीरा रोड पर पांच एकड़ जमीन उसके मालिक मीनाबाई राउत, बहमिनी पाटिल और अन्य लोगों से 4 करोड़ रुपये में खरीदी थी। बाद में उसे पता चला कि शाह ने भी उसी जमीन के लिए मालिकों के साथ लेन-देन की है। जब अरबीवाला ने शाह से यह स्पष्ट करने के लिए संपर्क किया कि क्या उन्होंने भूखंड खरीदा है, तो शाह ने उन्हें “हाजीसाब” या छोटा शकील से बात करने के लिए कहा।

मामले को रफा-दफा करने के लिए साल 2018 में अरबीवाला को 5 करोड़ रुपये और 50,000 वर्ग फुट की जमीन का एक हिस्सा आरिफ शेख को सौंपने के लिए कहा गया। जब उसने इसका जवाब नहीं दिया, तो उसे जान से मारने की धमकी मिलने लगी। आखिरकार, अरबीवाला ने डोंगरी पुलिस से संपर्क करने का फैसला किया। एक प्राथमिकी दर्ज की गई और शेख और शाह को गिरफ्तार कर लिया गया।

एक अधिकारी ने बताया, ”हम इनमें से कई मामलों में अपराध के बारे में जानते थे, लेकिन शिकायतकर्ता आगे आने को तैयार नहीं थे। शेख और कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद हम लोगों को एक औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए परामर्श दे रहे हैं।”

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया है कि मुंबई और उसके आसपास इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देने में छोटा शकील की मदद करने वाले कम से कम 20 लोगों पर हमारी नजर है। वह कहते हैं, ”कुछ और मामले हैं जहां हमें डी-कंपनी की संलिप्तता का संदेह है और हम लोगों को आगे आने और शिकायत दर्ज करने के लिए मान रहे हैं। हमारा लक्ष्य शहर में डी-कंपनी के नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करना है।”