एक औरत के लिए, मां बनना सबसे खुशी की बात होती है। गर्भावस्था के दौरान, गर्भवती मां को विशेष देखभाल और ध्यान की जरूरत होती है। इस दौरान, महिला शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से कई तरह के बदलाव से गुजरती है। अक्सर हार्मोनल असंतुलन के कारण ये बदलाव कई प्रकार की परेशानियां और बेचैनी लेकर आता है। ऐसी स्थिति में, योग अभ्यास और तकनीकों का पालन करना, गर्भवती मां के लिए सुरक्षित और बहुत लाभदायक साबित होता है।

योग, तमाम परेशानियों से निजात दिला सकता है। साथ ही यह गर्भवास्था में मां को धैर्य, संतुलन और विश्वास से तमाम परेशानियों का सामना करने के लिए तैयार करता है। योग की सुरक्षित और प्रभावी तकनीकें, गर्भवती मां की सेहत और कल्याण में बहुत मददगार हैं।

प्रेग्नेंसी में क्या दिक्कतें हो सकती हैं?

गर्भावस्था के दौरान, महिला कई तरह की तकलीफों से गुजरती है। जैसे- चक्कर, नींद की कमी, आलस, वजन बढ़ना, ब्लड प्रेशर में अस्थिरता, सांस फूलना, कब्ज़, त्वचा के रंग में बदलाव, चिंता, पैनिक अटैक, तनाव, पीठ और जोड़े में दर्द और इत्यादि। ये जरूरी नहीं है कि हर महिला को ये सभी परेशानियां हों, लेकिन इनमें से कुछ न कुछ तकलीफ हर महिला को होती है।

क्यों जरूरी है योग?

गर्भावस्था में खिंचाव और आसन, प्राणायाम और विश्राम की तकनीक ब्लड सर्कुलेशन से लेकर पाचन में सुधार करने में मददगार है। साथ ही नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। तनाव से भी छुटकारा मिता है। एक गर्भवती मां के लिए, शारीरिक व्यायाम इसलिये भी बहुत जरूरी है क्योंकि एक डिलीवरी का दर्द असहनीय होता है, और योग के जरिये आप खुद को इस दर्द से निपटने के लिए तैयार कर सकती हैं।

प्रेग्नेंसी में कब कर सकती हैं योग?

अगर आपने कभी भी योग का अभ्यास नहीं किया है तो दूसरे ट्राइमेस्टर यानी 14 हफ्तों के बाद, एक अनुभवी योग एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में, योग का अभ्यास कर सकती हैं। लेकिन अगर आप पहले से योग का अभ्यास करती रही हैं, तो पहले ट्राइमेस्टर के बाद से योग आसन का अभ्यास कर सकती हैं, लेकिन योग शिक्षण का मार्गदर्शन आवश्यक है।

कौन सा आसन करना चाहिए और कौन सा नहीं?

गर्भवती महिलाएं सुखासन, पद्मासन, अर्धपद्मासन, वज्रासन, भद्रासन, तालासन, पर्वतासन, उत्कटासन, उष्ट्रासन, यष्टिकासन का अभ्यास कर सकती हैं। जिस आसन में आपके पेट पर प्रभाव पड़ रहा है, वो आसन बिल्कुल भी नहीं करें- जैसे भुजंगासन, मकरासन, योग मुद्रा और पश्चिमोत्तानासन।

उपरोक्त योग आसन के जरिये बेहतर ब्लड सर्कुलेशन, मांसपेशियों की टोनिंग होना, पेल्विक, पेट और पीठ के मांसपेशियों को अधिक सहयोग मिलना, पीठ का दर्द कम होना, और बैठने के तरीके में सुधार आना जैसे लाभ हैं। योग के नियमित अभ्यास से आपका वजन भी नियंत्रित रहता है। साथ मानसिक स्वास्थ्य भी सुधरता है। पोस्ट डिलीवरी, रिकवरी भी तेजी से होती है।

किन चीजों का ध्यान रखना जरूरी?

कोई भी आसन का अभ्यास करते समय, ध्यान दें कि खुद को अधिक थकाएं नहीं या जोर न डालें। योग का अभ्यास किसी हवादार कमरे में करें। आरामदायक कपड़े पहनकर ही योगाभ्यास करें। आसन करने से 2 घंटे पहले तक कुछ भी ना खायें। आसन करते समय, अपनी श्वास पर ध्यान दें और शांति का भाव का अनुभव करें। अगर आपको आसन करते समय, थोड़ा भी दर्द महसूस हो रहा है, तो तुरंत रुक जाएं।

कैसा होना चाहिए खानपान?

एक गर्भवती मां के लिए सही और समय पर खानपान बहुत जरूरी है। ध्यान देना चाहिए कि वो क्या, कितना, और कब खा रही हैं। क्योंकि इसका सीधा प्रभाव, उसके होने वाले बच्चे पर पड़ता है। हर 4 घंटों में थोड़ा-थोड़ा खाएं। बीच में नींबू पानी, जूस या पानी पीएं। हल्का सात्विक भोजन लेने की कोशिश करें। तला हुआ या बाहर का खाना खाने से बचें। ताजे फल और सब्जियां, खजूर, किशमिश और दालें खायें। खाने के साथ पानी न लें, बल्कि गर्मी के दिनों में एक ग्लास छाछ लें।