विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वजन घटाने और डायबिटीज जैसी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर यानी कृत्रिम मिठास के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वेट लॉस या ब्लड शुगर जैसी बीमारियों में शुगर की मात्रा घटाने की आवश्यकता होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर इस्तेमाल किया जाए। बता दें कि आर्टिफिशियल स्वीटनर मिठास तो देता है, लेकिन सामान्य शुगर के मुकाबले इसमें बहुत कम कैलोरी होती है। डायबिटीज के तमाम मरीज चाय, कॉफी में इसी स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं।

WHO ने क्या कहा है?

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि जो लोग वजन घटाने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर इस्तेमाल करते हैं, फौरी तौर पर उनके बॉडी मास इंडेक्स में कुछ कमी आ सकती है, लेकिन लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से वजन बढ़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा रहता है। डाटा से यह भी पता लगता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर की वजह से ब्लैडर के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।

क्या कहता है WHO का डाटा?

डब्ल्यूएचओ ने अपनी स्टडी ने पाया है कि यदि आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल बेवरेजेस के फॉर्म में किया जाए तो टाइप टू डायबिटीज का खतरा 23% तक बढ़ जाता है। खाने में इस्तेमाल किया जाए तो 34% तक खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि आर्टिफिशियल शुगर के इस्तेमाल से हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा 32% बढ़ जाता है। जबकि स्ट्रोक का खतरा 19% ज्यादा और हाइपरटेंशन का 13% ज्यादा रहता है।

क्या ये पहली स्टडी है?

डब्ल्यूएचओ का ताजा अध्ययन पहले से मौजूद रिसर्च पर आधारित है। नतीजों तक पहुंचने के लिए पहले से मौजूद डाटा के पूल का इस्तेमाल किया गया। आर्टिफिशियल स्वीटनर को लेकर पहले भी कई स्टडी हो चुकी हैं। फ्रांस ने भी करीब 8 साल तक स्टडी की थी, जिसमें सामने आया था कि कृत्रिम शुगर के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ता है।

क्या कहते हैं डॉक्टर?

फोर्टिस CDOC हॉस्पिटल के चेयरमैन और डायबिटीज एक्सपर्ट डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं कि ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज नहीं है, उन्हें वजन घटाने के लिए तो आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल कभी करना ही नहीं चाहि। डायबिटीज के मरीजों को भी बहुत सीमित मात्रा में आर्टिफिशियल शुगर लेने की सलाह देता हूं। मेरा तो सुझाव है रहता है कि डायबिटीज के मरीज आर्टिफिशियल स्वीटनर की जगह आधा चम्मच चीनी ले लें।

डॉ. मिश्रा कहते हैं कि यदि आर्टिफिशियल शुगर से हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा है तो डायबिटीज के मरीजों को वैसे भी इससे बचना चाहिए। क्योंकि शुगर के मरीजों को हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा पहले से कहीं ज्यादा रहता है।

क्या डाइट कोला है सुरक्षित?

मैक्स हेल्थकेयर के एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज डिपार्टमेंट के चेयरमैन हरीश मित्तल कहते हैं आर्टिफिशियल स्वीटनर को लो कैलोरी शुगर के तौर पर पेश किया जाता है। तमाम हेल्दी लोग भी इसका इस्तेमाल करते हैं। वह कहते हैं कि सामान्य कोल्ड ड्रिंक में बड़े पैमाने पर शुगर होती है। 500ml कोल्ड ड्रिंक में करीब 12 चम्मच के बराबर चीनी होती है। जबकि डाइट कोला, आर्टिफिशियल स्वीटनर के चलते लो कैलोरी का होता है लेकिन इसका बहुत नकारात्मक असर हो सकता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस से लेकर डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं।