बॉलीवुड के बेहतरीन फिल्ममेकरों की लिस्ट में शुमार संजय लीला भंसाली का जन्म 24 फरवरी 1963 को मुंबई में हुआ था। संजय आज अपना 60वां जन्मदिन मना रहे हैं। भंसाली ने हिंदी सिनेमा को कई ऐसी फिल्में दी हैं जो ना सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई हैं। भंसाली अपनी अलग फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। संजय हमेशा लीक से हटकर फिल्में बनाते हैं जो उन्हें दूसरे फिल्ममेकर्स से अलग बनाती है। भंसाली अक्सर ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्में बनाते हैं।

इन दिनों फिल्ममेकर अपनी नेटफ्लिक्स सीरीज हीरामंडी को लेकर चर्चा में हैं। कहानी पाकिस्तान के लाहौर इलाके की वेश्याओं के जीवन के किस्से पर आधारित होगी। इससे पहले भंसाली की फिल्म गंगूबाई को काफी तारीफ मिल चुकी हैं। भंसाली लगभग हर फिल्म में तवायफों के जीवन और उनके संघर्ष के बारे में दिखाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भंसाली अक्सर वेश्याओं के जीवन पर आधारिक फिल्में क्यों बनाते हैं। आज संजय लीला भंसाली के जन्मदिन के मौके पर हम आपको इसके पीछे की वजह बताने जा रहे हैं।

तवायफों पर फिल्में क्यों बनाते हैं भंसाली

संजय लीला भंसली ने फिल्म कंपेनियन से बात करते हुए बताया था कि आखिर वह अपनी फिल्म में तवायफ का किरदार क्यों शामिल करते हैं। फिल्ममेकर ने बताया था कि ‘वह मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुर के पास एक चौल में पले बढ़े। उन्होंने बचपन में वो इलाका करीब से देखा और महसूस किया है। भंसाली ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि बचपन में आप कुछ ऐसी चीजें देख लेते हैं। जिसका आप पर गहरा असर पड़ता है। मैंने सेक्स वर्कर्स को क्लाइंट्स के सामने 20 रुपये के लिए खुद को बेचते देखा है। ‘

भंसाली ने आगे कहा कि ‘किसी की भी कीमत 20 रुपये कैसे हो सकती है। ये सब बहुत दर्दभरा था। जिसे मैं आजतक भूल नहीं पाया और न ही कभी भूलूंगा। बहुत सी चीजे मेरे दिमाग में रह गईं। लेकिन में उन्हें कभी ठीक से कह नहीं पाया। जब स्कूल आते-जाते ये सब देखता था तो इसका बहुत गहरा असर पड़ा है। वैश्याओं के चेहरे पर अनगिनत कहानियां होती थीं। वो खुद ही अपना मेकअप करके उसको छिपाने की कोशिश करती थीं। लेकिन क्या आज तक उस पाउडर, लिपिस्टिक, बिंदी, चमचमाते कपड़ो के पीछे छुपे दर्द को किसी ने देखा। मेरे मन में जो रह गया मैं उसे चंद्रमुखी से लेकर गंगूबाई के जरिए कहने की कोशिश कर रहा हूं।’

क्या है भंसाली की अपकमिंग सीरीज ‘हीरामंडी’ की कहानी

संजय लीला भंसाली की अपकमिंग नेटफ्लिक्स सीरीज हीरामंडी लाहौर स्थित एक रेडलाइट एरिया की कहानी है। इस एरिया को शाही मोहल्ला के नाम से भी जाना जाता है। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पहले ‘हीरामंडी’ की तवायफें देशभर में मशहूर थीं। उस दौरान कोठे पर राजनीति से लेकर प्यार, धोखा सब देखने को मिलता था। मुगलकाल के दौरान अफगानिस्तान और उजबेकिस्तान की महिलाएं भी ‘हीरामंडी’ में रहने के लिए आ गई थीं। उस दौर में तवायफ शब्द को गंदे नजरिए से नहीं देखा जाता था।

मुगलकाल में तवायफें संगीत, कला, नृत्य और संस्कृति से जुड़ी हुई थीं। तब जब तवायफें सिर्फ राजा और महाराजाओं का नृत्य के जरिए मनोरंजन करती थीं। धीरे-धीरे जब मुगल दौर खत्म होने लगा तो हीरामंडी पर विदेशियों ने आक्रमण कर दिया। अंग्रेजों ने हीरामंडी की तवायफों को वेश्या का नाम दे दिया। हीरामंडी में दिन में बाजार सजता है और रात में इस इलाके की चमक बदल जाती है। पहली बार करण जौहर ने अपनी फिल्म कलंक में हीरामंडी का जिक्र किया गया था।

संजय लीला भंसाली का करियर

भंसाली ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अस्टिस्टेंट डायरेक्टर की थी। भंसली ने अपने शानदार फिल्मी करियर में हम दिल दे चुके सनम, देवदास, ब्लैक, गोलियों की रासलीला रामलीला, बाजीराव मस्तानी, पद्मावत जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है। संजय को अलग-अलग श्रेणी में पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। फिल्मी दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा भी जा चुका है।