गणेशनंदन तिवारी
बॉम्बे टॉकीज की पहली फिल्म थी ‘जवानी की हवा’ (1935) जिसमें देविका रानी के हीरो थे लखनऊ के हैंडसम नजमुल हसन। फिल्म में नायिका कमला (देविका रानी) एक दिन घर छोड़ कर गायब हो जाती है। परिवार ने कमला की शादी किसी और से तय की तो वह अपने प्रेमी रतनलाल (नजमुल हसन)के साथ भाग जाती है। यह फिल्मी कहानी जरा से हेरफेर के साथ तब हकीकत में बदली थी, जब ‘जीवन नैया’ (1936) की शूटिंग शुरू हुई। इसके हीरो नजमुल हसन और हीरोइन देविका रानी रातोरात गायब हो गए और उनके इस प्रेम-प्रसंग में हिंदी फिल्मजगत को अशोक कुमार के रूप में एक सदाबहार अभिनेता मिला।
‘जीवन नैया’ ने देविका रानी और हिमांशु राय के शादीशुदा जीवन में भूचाल ला दिया था। हमेशा काम में डूबे रहने वाले हिमांशु राय को पता ही नहीं चला कि यह सब कैसे हुआ। ‘जीवन नैया’ की शूटिंग शुरू हो चुकी थी। अचानक एक दिन देविका रानी गायब हो गईं। यूनिट परेशान कि हीरोइन गई कहां। फिर पता चला कि हीरो नजमुल भी गायब हैं। शूटिंग रुक गई और हीरो-हीरोइन की तलाश शुरू हो गई। मगर दोनों मुंबई में नहीं मिले।
बॉम्बे टॉकीज में हिमांशु राय और देविका रानी के भरोसेमंद थे शशधर मुखर्जी। मुखर्जी रावलपिंडी में पैदा हुए। झांसी में पले बढ़े। पिता उन्हें बैरिस्टर बनाने के लिए ब्रिटेन भेजने जा रहे थे कि भौतिकी के इस स्नातक को राय ने बॉम्बे टॉकीज के साउंड डिपार्टमेंट में सावक वाचा का सहायक बना दिया। देविका रानी मुखर्जी को भाई की तरह मानती थीं। लिहाजा बकौल सआदत हसन मंटो शशधर मुखर्जी ने चुपचाप देविका रानी को तलाशने का काम शुरू कर दिया।
आखिर दोनों कोलकाता के एक होटल में मिले। बातचीत करने के बाद मुखर्जी समझ गए कि देविका का अपने पति हिमांशु राय से मोहभंग हो चुका है और वह नजमुल हसन से शादी के बारे में सोच रही हैं। मुखर्जी ने उन्हें समझाया और वापस मुंबई लेकर आए। हिमांशु राय ने नजमुल हसन को नौकरी से निकाल दिया। देविका रानी मुंबई लौटीं, मगर अपनी शर्तों पर। इनमें पति हिमांशु राय से दूरी के साथ ही अपने लिए आर्थिक आजादी की मांग शामिल थी। उनकी मांगें मान ली गई। इस तरह देविका रानी हिमांशु राय साथ रह कर भी एक दूसरे से दूर हो गए।
सवाल उठा कि इतनी जल्दी किसे हीरो बनाया जाए। तब फिर शशधर मुखर्जी सामने आए। उन्होंने अपने साले अशोक कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। अशोक कुमार के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे मगर जीजा शशधर मुखर्जी ने उन्हें बॉम्बे टॉकीज की लैब में बिना किसी तनख्वाह के काम सीखने पर लगवा दिया था। मुखर्जी के प्रस्ताव पर हिमांशु राय ने अशोक कुमार को बुलवाया। अशोक कुमार हिमांशु राय को पसंद आ गए और उन्हें ‘जीवन नैया’ का हीरो बना दिया। इस तरह नजमुल-देविका के प्रेम प्रसंग से अशोक कुमार के रूप में एक स्टार का जन्म हुआ था।