सुपरस्टार रजनीकांत ( Rajinikant) एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने अपने अभिनय से साउथ ही नहीं बल्कि बॉलीवुड (Bollywood) में भी अपना लोहा मनवाया है। युवाओं में उनको लेकर क्रेज देखने को मिलता है। अपने एक्शन से रजनीकांत युवा कलाकारों को भी टक्कर देते हैं। सिर्फ साउथ इंडिया ही नहीं बल्कि हमारे देश से लेकर दुनियाभर में सुपरस्टार रजनीकांत को चाहने वाले हैं। उनके प्रति लोगों की दीवानगी इस हद तक है कि वे उन्हें ‘भगवान’ मानते हैं।
यही वजह है कि उनके चाहने वाले उनका जन्मदिन भी एक त्यौहार की तरह मनाते हैं। रजनीकांत ( Rajinikant) की हर फिल्म को देखने के लिए फैंस हमेशा उत्सुक रहते हैं और रिलीज होते ही हाउस फुल हो जाता है। रजनीकांत ( Rajinikant) का जन्म 12 दिसंबर साल 1950 को बंगलूरू में हुआ था। रजनीकांत की असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था। यही शिवाजी राव आगे चलकर रजनीकांत बने। आज रजनीकांत ( Rajinikant) अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। आज एक्टर के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहे हैं।
चार साल की उम्र में हो गया था मां का निधन
रजनीकांत का जन्म एक मराठी परिवार में हुआ था। जीजाबाई और रामोजी राव की चार संतानों में शिवाजी सबसे छोटे थे। इनकी स्कूलिंग बेंगलुरु में हुई। रजनीकांत जब चार साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया। मां के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंघे पर आ गई। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। उनके लिए घर चलाना इतना आसान नहीं था। रजनीकांत कुली से लेकर बस कंडक्टर जैसे काम कर चुके हैं।
ऐसे मिली पहली फिल्म
एक्टिंग में कदम रखने के लिए रजनीकांत के दोस्त राज बहादुर ने बहुत मदद की। एक्टर ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बालचंद्र की फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ से डेब्यू किया था। रजनीकांत ने अपने अभिनय की शुरुआत कन्नड़ नाटकों से की थी। दुर्योधन की भूमिका में रजनीकांत घर-घर में लोकप्रिय हुए थे। लेकिन अभिनेता पहली बार लीड हीरो के रूप में एसपी मुथुरमन की फिल्म भुवन ओरु केल्विकुरी में दिखे थे।
साउथ सिनेमाघरों में सिक्कों पर लगाई गई पाबंदी
रजनीकांत की फिल्म रिलीज होने से पहले फैंस उनके पोस्टर्स को दूध से नहलाते हैं । फिल्म देखने के लिए लोग सुबह 4 बजे से टिकट विंडो के बाहर जाकर खड़े हो जाते हैं । रजनीकांत के सीन पर्दे पर आने पर दर्शक उन पर सिक्के उछालते थे। कई बार एक साथ कई सिक्के पड़ने पर सिनेमाघर के पर्दे फट गए। जिसके चलते बाद में साउथ भारत के सिनेमाघरों में सिक्के ले जाने पर पाबंदी लगाई गई।