बॉलीवुड के बेहतरीन स्टार्स में से एक विजय वर्मा सिर्फ अपने अभिनय को लेकर ही नहीं, बल्कि अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी सुर्खियों में बने रहते हैं। हालांकि, वह अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर बहुत ज्यादा बात नहीं करते, लेकिन अब उन्होंने कुछ ऐसा शेयर किया है, जिसे सुनकर उनके फैंस थोड़ा हैरान हो गए हैं। विजय ने एक इंटरव्यू में अपनी लाइफ के एक बहुत ही मुश्किल दौर के बारे में बात की है।
एक ऐसा दौर जिसमें उन्होंने बचपन का ट्रॉमा, मुश्किल पारिवारिक रिश्ते और कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान डिप्रेशन से जूझना शामिल था। दरअसल, विजय वर्मा हाल ही में रिया चक्रवर्ती के पॉडकास्ट चैप्टर 2 में पहुंचे, जहां उन्होंने बताया कि डिप्रेशन के दौरान आमिर खान की बेटी आइरा ने उनकी मदद की।
विजय वर्मा ने बताया कैसा था पिता से रिश्ता
विजय वर्मा ने माना कि उनके इमोशनल बोझ का एक बड़ा हिस्सा उनके पिता के साथ उनके खराब रिश्तों की वजह से था। एक्टर ने कहा, “मेरे पिता मुझे बहुत पसंद थे, जब तक कि ऐसा होना बंद नहीं हो गया। जब मैं छोटा था, तो मुझे अपने पिता बहुत पसंद थे। वह बिजनेस टूर पर जाते थे और मेरे लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाते थे। उनकी पर्सनैलिटी बहुत डायनामिक थी… रंगीन मिजाज, गुस्सैल, अनप्रेडिक्टेबल। इससे मैं हैरान और शॉक्ड दोनों रहता था।”
इसके आगे उन्होंने कहा, “फिर जब मैं टीनएजर हुआ, तो मेरे पिता के लिए मेरा प्यार कम हो गया। वह मुझसे प्यार करते थे, लेकिन वह मुझसे इतनी सारी चीजें चाहते थे, जो मैं नहीं चाहता था। मेरा करियर, मेरे दोस्त, यहां तक कि मैं अपना समय कैसे बिताता हूं। मेरे बारे में सब कुछ उन्हें परेशान करता था।” इसके बाद विजय अपनी मां के करीब आ गए, जो उनकी लाइफ में इमोशनल सहारा बन गईं।
विजय वर्मा ने कहा, “मुझे अपने पिता की कंपनी पसंद नहीं थी।” अभिनेता ने बताया कि उनके पिता चाहते थे कि वह फैमिली बिजनेस जॉइन करें। एक्टर ने कहा, “असल में मैं बिजनेस एन्जॉय कर सकता था, लेकिन मुझे अपने पिता की कंपनी पसंद नहीं थी। जैसे ही मैं टीनएज में आया, उनका गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ गया। मैं जितना ज्यादा विरोध करता, वह उतने ही ज्यादा गुस्से में आ जाते थे।”
जब घर छोड़कर जाने वाले थे विजय
विजय वर्मा ने अपना रास्ता खुद बनाने के इरादे से छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिया, जो उनके पिता को बिल्कुल पसंद नहीं था। उनके पिता कहते थे कि नौकरी तो नौकर करते हैं, हम बिजनेस करते हैं। फिर एक्टर के लिए धीरे-धीरे थिएटर एक सहारा बन गया। जब उनके नाटकों की तारीफ अखबारों में छपने लगी, तो उन्होंने गर्व से वो कटिंग घरवालों को दिखाई, लेकिन फिर भी उनके पिता प्रभावित नहीं हुए। बात तब गंभीर हुई जब विजय को FTII (फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) में दाखिला मिल गया।
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अभिनेता ने बताया कि वह अपने पिता का सामना करने से डर रहे थे और उन्होंने घर छोड़ने का प्लान बनाया, लेकिन मां और बहन को रोता देखकर उनका मन बदल गया। विजय ने कहा, “मैंने उन्हें फोन किया और झूठ बोला कि मुझे स्कॉलरशिप मिल गई है और यह एक साल का कोर्स है। उन्होंने कुछ बुरा-भला कहा और चेतावनी दी कि मेरे लौटने से पहले तुम यहां से चले जाना। फिर मैंने अपना बैग पैक किया और चला गया। मैं कोई हंगामा नहीं चाहता था।”
10 साल तक एक्टर ने किया स्ट्रगल
कोर्स पूरा करने के बाद भी विजय को काम आसानी से नहीं मिला। उन्होंने बताया, “मैंने करीब 10 साल तक संघर्ष किया। कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था, जब तक कि ‘गली बॉय’ नहीं आई। वो फिल्म अचानक आई और मेरी लाइफ बदल गई। इसके बाद ‘मिर्जापुर’ और ‘दहाड़’ जैसी वेब सीरीज से सफलता का सिलसिला जारी रहा, लेकिन 2020 के लॉकडाउन ने सब कुछ रोक दिया।
विजय ने कहा कि उस दौर ने उन्हें मेंटली बहुत इफेक्ट किया।” इसके आगे उन्होंने बताया कि मैं मुंबई के एक अपार्टमेंट में अकेला था। मेरे पास एक छोटा-सा टैरेस था। फिर उस ठहराव ने मुझे एहसास दिलाया कि काम के पीछे भागते-भागते मैं कितना अकेला हो गया था।
डिप्रेशन के दौरान आइरा ने की मदद
लॉकडाउन के दौरान विजय अक्सर आइरा खान और एक्टर गुलशन देवैया से जूम पर बात करते थे। ये तीनों ‘दहाड़’ की शूटिंग के दौरान काफी करीब आ गए थे, जब आइरा असिस्टेंट के तौर पर काम कर रही थीं। विजय ने बताया, “मेरी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। तब आइरा ने ही सबसे पहले कहा कि विजय तुम्हें अब चलना-फिरना शुरू करना होगा।”
उसने मुझे जूम पर वर्कआउट्स कराना शुरू किया। वो मेरी कोच की तरह थी। फिर आखिरकार विजय ने माना कि वह अब ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं और उन्होंने थेरेपी लेना शुरू किया। मुझे गंभीर डिप्रेशन और एंग्जायटी का पता चला। मेरी थेरेपिस्ट ने दवा लेने की सलाह भी दी, लेकिन मैंने कहा कि फिलहाल मैं कोशिश करता हूं, खुद इसे संभालने की।
घंटों रोते थे विजय वर्मा
विजय ने बताया, “मैंने कई ऐसी बातों के बारे में कभी खुलकर बात नहीं की थी जिन्हें मैंने प्रोसेस नहीं किया था। थेरेपी और योगा से सब कुछ बाहर आ गया। सूर्य नमस्कार करते समय, मैं बेहोश हो जाता और घंटों रोता रहता था, बिना यह जाने कि क्यों।” उनका मानना है कि इसका ज्यादातर कारण अनसुलझा गिल्ट था।
उन्होंने कहा, “मुझे घर छोड़ने का गिल्ट था। आज भी है, मैंने अपने परिवार को छोड़ दिया और एक दशक तक अकेले संघर्ष किया, बिना किसी उपलब्धि के। आज बातें समझ में आती हैं, लेकिन तब नहीं आती थीं।”
आइरा ने मुझसे कहा कि थेरेपी बुरी नहीं
उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि आइरा सही समय पर आई। उसने मुझसे कहा कि थेरेपी बुरी नहीं है। एक डिसफंक्शनल परिवार से होने के नाते, अगर आप चीजों को ठीक नहीं करते हैं, तो यह एक गहरा निशान छोड़ जाता है। आपको लगता है कि आप बचपन के दर्द को भूल गए हैं, लेकिन सबकॉन्शियस माइंड उसे याद रखता है।”
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