CAA : देशभर में Citizenship Amendment Act (CAA) यानी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन और धरने चल रहे हैं। इसी बीच आलिया भट्ट ने सोशल मीडिया पर भारतीय संविधान के प्रस्तावना की तस्वीर शेयर कर दी। वैसे तो उन्होंने इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में ये तस्वीर पोस्ट की थी लेकिन उन्होंने तस्वीर गलत चुन ली।
आलिया ने ‘प्रस्तावना’ की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘हमने ये तब से पढ़ा जब स्टूडेंट थे।’ जल्द ही नेटिजन ने सोशल मीडिया पर उनको गलती बताना शुरू किया और कहा कि उन्होंने पुराने प्रियेम्बुल preamble ‘प्रस्तावना’ को शेयर किया है। दरअसल भारतीय संविधान के प्रस्तावना को 42वें संशोधन के साथ बदला गया था इसमें संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य sovereign democratic republic और राष्ट्र की एकता unity of the nation जैसे शब्दों को बदला गया था। इसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बदलते हुए संप्रभु, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य और राष्ट्र की एकता और अखंडता जैसे वाक्यों को जोड़ा था।
आलिया के इस पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, ‘आलिया भट्ट Preamble को गूगल करती हैं और जो भी सर्च में पहले आया उसको ही पोस्ट कर दिया है। उन्हें तो वास्तविक प्रस्तावना का मतलब भी नहीं पता।’ एक और यूजर ने लिखा, ‘आलिया का इस आंदोलन को समर्थन बिल्कुल कॉलेज के लेक्चर जैसा है, जिसमें थ्योरी में अटेन्डेंस तो मिल गया लेकिन प्रैक्टिकल की कोई जानकारी नहीं।
Alia Bhatt googles “Preamble”, and uses the first picture that she could find.
She doesn’t even know that this is the original Preamble, which doesn’t have the words “Secular” and “Socialist”, the ideals that they claim to be protecting. pic.twitter.com/ag9tkshEuC
— Akankasha Kesar (@kesar_akankasha) December 17, 2019
बता दें कि इस बिल के खिलाफ बॉलीवुड एक्टर फरहान अख्तर ने भी प्रतिक्रिया दी है। फरहान ने कहा कि वो नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतरेंगे फरहान ने कहा कि वो मुंबई में अगस्त क्रांति मैदान पर 19 दिसंबर को होने वाले प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे क्योंकि अब सिर्फ सोशल मीडिया पर विरोध करने का वक्त निकल चुका है।
वहीं एक्ट्रेस हुमा कुरैशी ने इस बिल के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से सवाल पूछते हुए ट्वीट किया है कि ये ठीक नहीं है। हम एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में रह रहे हैं। छात्रों के साथ पुलिस ने जो हिंसा दिखाई है, वो काफी भयानक है। हमारे देश के नागरिकों को शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है या फिर अब ऐसा कोई विकल्प नहीं बचा है।