अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। इस खबर के बाद से सोशल मीडिया पर ट्वीट्स की बाढ़ सी आ गई है। कुमार विश्वास ने भड़कते हुए यूएनओ और यूएसए पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। कुमार विश्वास ने इस बीच एक ट्वीट किया है जिसमें वह यूएनओ और यूएसए पर कटाक्ष करते दिखे।

कुमार विश्वास ने अपनी पोस्ट में कहा- ‘मज़हबी कट्टरपंथियों के दंगाई-समूह ने पूरे एक देश पर क़ब्ज़ा कर लिया और दुनिया के शांति-ठेकेदारों ने यह खुली गुंडई चुपचाप हो जाने दी? ज़रा-ज़रा बात पर सहिष्णुता का महीनों ज्ञान उगलने वाले ज्ञानी भी मुंह में दही जमाए हैं? इन्हीं सब चुनी हुई ख़ामोशियों के कारण कट्टरता बढ़ती है।’ कुमार विश्वास ने एक और ट्वीट कर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा- ‘है अमन के वास्ते जग में बना यू-एन-ओ, यूएसए का “यू” है इसमें बाक़ी सबका नो ही नो।’

बता दें, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से खबर आई है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सलेह के देश छोड़ कर वहां से निकल गए हैं। कहा जा रहा है कि तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच दोनों अफगानिस्तान छोड़कर तजाकिस्तान की तरफ निकल पड़े हैं।

कुमार विश्वास के इस पोस्ट को देख कर ढेरों लोगों के रिएक्शन सामने आने लगे। तारीफ खान नाम के एक यूजर ने कहा- ‘इतनी फिक्र कबसे होने लगी आपको दूसरे मुल्क की और अभी दिल्ली में कुछ दिन पहले मजहबी कट्टरपंथी, भगवाधारी जंतरमंतर पर खुलेआम नारे लगा रहे थे तब आपके मुंह से एक शब्द ना निकला। क्या आपके मुंह में भी दही जम गई थी?’ ब्रह्मदेव नाम के यूजर ने इस यूजर को कमेंट कर कहा- ‘अभी तुम्हारे लिए दूसरा देश हो गया? हां और इजराइल के टाइम क्यों सड़कों पर चिल्ला रहे थे?’

शाहिद खान नाम के शख्स ने कहा- ‘जब NATO सेना अफ़ग़ानियों पर जुल्म और सितम कर रही थी तब तो आवाज़ नहीं निकली थी? वो तरक़्क़ी का रास्ता था और आज जब पूरा मुल्क अफगानिस्तान, जब खुले मन से तालिबान को स्वीकार कर रहा है तो वे कटरपंथी लग रहे हैं?’

अरुण कुमार नाम के यूजर बोले- ‘तथाकथित चुनी हुई सरकारों की गुंडई पर आप भी दही जमा लेते हैं। श्रीमान जुर्म हर जगह हो रहा है और आप जैसे लोग सिलेक्टिव मुद्दों पर अपना मुंह खोलते हैं। आपकी लोकप्रियता पर कोई आंच ना आए, भान रहे हमारा देश भी इसी कट्टरता की तरफ बढ़ रहा है और हम कब तक खामोश रहेंगे?’

श्रीकांत नाम के यूजर बोले- ‘सभी कैसे शान्त बैठे हैं? अफगानिस्तान में बच्चे,महिलाएं, सभी किन परिस्थितियों का सामना कर रहे होंगे? ये सोचना भी कितना भयावह है। ये निरंकुशता सभी के लिए घातक है।’ एक यूजर ने कहा- ‘पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश में भी ऐसी ही क्रूरता हो रही थी और दुनिया तमाशा देख रही थी। तब इंदिरा गांधी जी ने कदम उठाते हुए पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। आज हमारी चुप्पी हमारी मजबूरी दर्शा रहा है।’