राजीव सक्सेना
वेब शृंखलाओं के निर्माताओं के बीच अब आम दर्शकों के साथ तालमेल बैठाने के मद्देनजर उनकी पसंद का खास खयाल रखते हुए कहानियों का ताना-बाना बुनने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। लगभग हर एक ओटीटी मंच पर एक के बाद एक, परिवार की अंदरूनी कशमकश से जुड़े कथानक लाए जा रहे हैं। सोनी लिव पर ‘साल्ट सिटी’ और जी फाइव पर ‘सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से विगत सप्ताह प्रारंभ हुई दो वेब सीरीज आम दर्शकों के बीच लोकप्रियता के पायदान चढ़ती जा रही हैं।
सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड
दरियागंज दिल्ली की तंग गलियों में रहने वाले एक परिवार को लेकर रची-बुनी कहानी में, पति से सम्बन्ध विच्छेद के बाद, पत्नी के अपने पैरों पर खड़े होने की जद्दोजहद दिखाई गई है। कहानी की नायिका ने अपने बच्चों को पालने की गर्ज से मानसिक तौर पर टूटने से खुद को बचाते हुए आत्मनिर्भर बनने का फैसला लिया और घर में अचार बनाकर होम डिलीवरी का काम चुना। इस गृह उद्योग में उसके साथ रहीं सासू मां और पड़ोसी शुक्ला जी।
भारतीय घरों में भोजन के स्वाद को चटपटा जायका देने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले अचार के बाजार में मौजूद तमाम बड़े ब्रांड के बीच घर में बने अचार को बेचने में आनेवाली स्वाभाविक परेशानी को निर्देशकीय कौशल ने दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत किया है। मेहनत और लगन के ज़रिये अंतत: सफलता मिलने को रेखांकित किया जाना सुखद लगा।
पंचायत और गुल्लक सरीखी उम्दा वेब शृंखला देने वाले बैनर टीवीएफ ने, अपूर्व सिंह कार्की के निर्देशन में अभिनेत्री अमृता सुभाष, यामिनी दास और अनूप सोनी से उनके मुख्य किरदारों में बेहतर अभिनय करवाने में कामयाबी हासिल की है। अन्य कलाकार भी अपनी भूमिकाओँ में प्रभावित करते हैं। महिलाओं के स्वावलम्बन की दिशा में यह धारावाहिक प्रेरक साबित हुआ है।
साल्ट सिटी
इस वेब शृंखला का शीर्षक महानगर मुंबई में रहने वालों के स्वभाव में समुद्र के खारे पानी का असर होने की तरफ संकेत करता है। एक उच्च मध्यवर्ग के परिवार से जुड़ी कहानी में बड़े शहर की अपनी ही शैली के प्रवाह में बहते हुए इसके सदस्यों में बिखराव को मुद्दा बनाया गया है। कहानी के मुताबिक 23-24 साल पहले उत्तर भारत से मुंबई आकर रहने लगे हरीश वाजपेयी का परिवार, उच्च स्तरीय जीवन जीने के चक्कर में अपनी चादर से बाहर पैर पसारने लगता है।
नतीजतन परिवार बिखरने की कगार पर पहुंचता जाता है वाजपेयी जी के तीनों बेटे और बेटी अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं। निर्देशक ऋ षभ अनुपम सहाय ने किरदारों में सिनेमा, टीवी और रंगमंच से जुड़े मशहूर कलाकारों का चयन करके शृंखला को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है, लेकिन कमजोर पटकथा के कारण कई जगह कहानी में भटकाव स्पष्ट नजर आता है।
छोटे कस्बे और महानगर के बीच के फासले को दिखाने की कोशिश भी खास कामयाब नहीं हुई। पीयूष मिश्रा और नवनी परिहार ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। दूरदर्शन के शुरुआती दिनों के धारावाहिक ‘मुजरिम हाजिर’ की नायिका रहीं नवनी परिहार के भीतर किरदार को डूबकर जीने की अद्भुत क्षमता है। पीयूष मिश्रा हमेशा की तरह अव्वल ही साबित हुए हैं। दिव्येन्दु शर्मा, गौहर खान, मोनिका चौधरी, प्रणय पचौरी, जितिन गुलाटी, ईशा चोपड़ा और मनीष आनंद का अभिनय सीरीज के मुख्य किरदारों में प्रभावित करता है।
